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इन दोस्तों की लॉकडाउन में नौकरी गई नहीं मानी हार, कर दिखाया ऐसा काम दे रहे 40 को रोजगार

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महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने कई लोगों की नौकरियां लील ली है। काफी लोग बेरोज़गार हुए। उन्हीं में से कई ने खुद का रोज़गार खोला और दूसरों को नौकरी दी। महामारी में कई लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी, कई लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। तो कई लोगों के लिए दो वक्त की रोजी-रोटी की व्यवस्था करना भी दूभर हो गया था।

भूखे पेट पैदल ही लोग अपने गांव जाने की और चल पड़े थे। सभी टूटे हुए थे। उस मुश्किल दौर में कुछ लोग मदद के लिए आगे आए तो कुछ लोगों ने अपने आइडिया और इनोवेशन से खुद के साथ-साथ दूसरे लोगों को भी सेल्फ डिपेंडेंट बनाया। ऐसी ही कहानी है केरल में रहने वाले दो युवाओं की, जिन्होंने अपने स्टार्टअप से पिछले 8 महीने में 40 गरीब महिलाओं को रोजगार दिया है।

इन दोस्तों की लॉकडाउन में नौकरी गई नहीं मानी हार, कर दिखाया ऐसा काम दे रहे 40 को रोजगार

हौसलों में जान होती है तो कुछ भी करने से डर नहीं लगता है। सबकुछ आसान लगता है। कोच्चि के रहने वाले हाफिज रहमान और त्रिवेंद्रम के रहने वाले अक्षय रवीन्द्रन दोनों MBA ग्रेजुएट हैं। दोनों क्लास मेट रहे हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों की जॉब लग गई। हाफिज एक मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर HR तो अक्षय एक स्पोर्ट्स ब्रांड की मार्केटिंग का काम देखते थे।

इन दोस्तों की लॉकडाउन में नौकरी गई नहीं मानी हार, कर दिखाया ऐसा काम दे रहे 40 को रोजगार

इन दोस्तों को खुद पर यकीन था कुछ कर दिखाने का जज़्बा। खुद को कमज़ोर नहीं पड़ने दिया। लॉकडाउन के दौरान लोगों की नौकरियां जा रही थीं। शहरों से भागकर लोग अपने-अपने गांव आ रहे थे। हाफिज बताते हैं इन हालात को देखकर मेरी मां बहुत दुखी थीं। तब मां ने ही मुझसे कहा कि कुछ ऐसा काम क्यों नहीं करते जिससे कि इन लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके। इसके बाद दोनों दोस्तों ने एक स्टार्टअप लॉन्च करने की योजना बनाई।

इन दोस्तों की लॉकडाउन में नौकरी गई नहीं मानी हार, कर दिखाया ऐसा काम दे रहे 40 को रोजगार

अचार की कंपनी का स्टार्टअप खोला और आज ज़रूरतमंदों को रोजगार दे रहे हैं। काफी डिमांड इनके ब्रांड की बड़ गई है। दोस्तों ने स्टार्टअप की शुरुआत दो स्थानीय महिलाओं से की। आज 40 लोगों को रोजगार दे रहे हैं।

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