पंखों का इस्तेमाल तो हम सभी अपने घर, स्कूल, कॉलेज या दफ्तर में करते हैं। दुनिया भर के अंदर घूमने की कई जगहें हैं और ये लोगों के बीच आकर्षण का विषय भी है। लेकिन हर देश के लिए उसकी संसद भी काफी खास होती है। संसद के अंदर तो आम जनता नहीं जा सकती है लेकिन बाहर से ही सही संसद को देखने लोग जरूर आते हैं। ये देश की एक ऐसी धरोहर है जो अपने आप में खास है।
पंखा हमें गर्मी से बचाता है जिस जगह हम बैठकर अपना काम करते हैं। भारतीय संसद की बात करें तो आपको यहाँ एक ऐसी चीज देखने को मिलेगी जो आपने कहीं नहीं देखि होगी और वो है यहाँ के पंखों का उल्टा होना। लेकिन लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं है कि ऐसा क्यों होता है?
इस विश्व में 190 से अधिक देश हैं और हर देश की राजनीतिक गतिविधियां उसके संसद भवन से ही कंट्रोल की जाती हैं। भारतीय संसद भवन की नींव 21 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ क्नॉट ने रखी थी। इसका निर्माण 2 मशहूर वास्तुकारों एडिवन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने किया और इसे पूरा बनाने में 6 साल लगे। इसका उद्घाटन तब के गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी 1927 को किया था।
किसी भी देश का संसद भवन उसके लिए बहुत खास और महत्वपूर्ण होता है। भारतीय संसद को काफी अलग ढंग से बनाया गया है और एक खास चीज जो लोगों का ध्यान खींचती है वो यहाँ के उल्टे पंखे हैं। यहां सीलिंग पर लगने वाले पंखे उल्टे लगे हुए हैं। पंखे उल्टे लगे होने के बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये पंखे शुरू से ही ऐसे ही लगे हुए हैं। ऐसे में अब इन पखों को बदल कर संसद की ऐतिहासिकता को बदलना नहीं चाहते हैं। पंखे आज भी उल्टे ही लगे हुए हैं।
भारत का संसद भवन बहुत खास है यह ना केवल राजनीतिक महत्व रखता है बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। संसद भवन एक विशाल वृत्ताकार भवन है, जिसका व्यास 560 फुट है। इसकी परिधि एक मील की एक तिहाई 563.33 मीटर है। ये 6 एकड़ की विशाल जगह में फैला है।