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जानिए भारत में कानून कैसे बनते हैं? किसके द्वारा किसी विधेयक को बनाया जाता है कानून

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भारत एक लोकतांत्रिक देश है भारत में किसी व्यक्ति को सजा संविधान के कानून के अनूसार दिया जाता है। कानून बनाना संसद का प्रमुख काम माना जाता है। कानून से लोकतंत्र मजबूत होता है। पहल अधिकांशतः कार्यपालिका द्वारा की जाती है। सरकार विधायी प्रस्ताव पेश करती है। उस पर चर्चा तथा वाद विवाद के पश्चात संसद उस पर अनुमोदन की अपनी मुहर लगाती है।

कानून की अपनी एक प्रक्रिया होती है जिसके आधार पर ही काम होता है। सभी कानूनी प्रस्ताव विधेयक के रूप में संसद में पेश किए जाते हैं। विधेयक विधायी प्रस्ताव का मसौदा होता है।

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कानून बनने की प्रक्रिया में क्या स्टेप होते हैं। दुनिया में किसी भी कंट्री स्टेट या समाज को चलाने के लिए। व्यवस्था और अनुशाषण बनाए रखने के लिए कुछ नियम की जरूरत होती है। विधेयक संसद के किसी एक सदन में सरकार द्वारा या किसी गैर-सरकारी सदस्य द्वारा पेश किया जा सकता है। इस प्रकार मोटे तौर पर, विधेयक दो प्रकार के होते हैं: (क) सरकारी विधेयक और (ख) गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयक। विधि का रूप लेने वाले अधिकांश विधेयक सरकारी विधेयक होते हैं। वैसे तो गैर सरकारी सदस्यों के बहुत कम विधेयक विधि का रूप लेते हैं।

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नियम और कानून में बहुत ही छोटा सा फर्क होता है। कानून बनाते समय विधेयक का मसौदा उस विषय से संबंधित सरकार के मंत्रालय में विधि मंत्रालय की सहायता से तैयार किया जाता है। मंत्रिमंडल के अनुमोदन के बाद इसे संसद के सामने लाया जाता है। संबंधित मंत्री द्वारा उसे संसद के दोनों सदनों में से किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। केवल धन विधेयक के मामले में यह पाबंदी है कि वह राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता।

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जहां नियम काम करने के तरीके को बताता है वहीं कानून उस तरीके और अनुशाषण के टूटने पर उठाए जाने वाले कदम को बताता है। अधिनियम का रूप लेने से पूर्व विधेयक को संसद में विभिन्न अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। प्रत्येक विधेयक के प्रत्येक सदन में तीन वचन होते हैं। विधेयक ‘पेश करना,’ विधेयक का पहला वाचन है। प्रथा के अनुसार इस अवस्था में चर्चा नहीं की जाती है। विधेयक का दूसरा वाचन सबसे अधिक विस्तृत एवं महत्वपूर्ण अवस्था है क्योंकि इसी अवस्था में इसकी विस्तृत एवं बारीकी से जांच की जाती है।

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