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महामारी ने मचाया कोहराम, धूं धूं करके आसमान को सारा दिन काला कर रहा है लाशों से भरा शमशान

वैश्विक स्तर पर तहलका मचा रही यह महामारी ना जाने कितनों को अपने साथ ले डूबेगी इसका अंदाजा ना तो आप लगा सकते हैं ना हम ना ही देश भर के वैज्ञानिक। यह संक्रमण कितना भयावह हो सकता है इसका अनुमान आप दिनों रात धूं धूं करके श्मशान में जलती लाशों के ढेर को देख कर लगा सकते हैं।

किसी विषय पर जब जाने-मान नोडल अधिकारी आर एस दहिया ने बताया कि कोविद-19 है जो भी गाइडलाइन सरकार द्वारा तय की गई है उसे के मध्य रखते हुए सभी शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

महामारी ने मचाया कोहराम, धूं धूं करके आसमान को सारा दिन काला कर रहा है लाशों से भरा शमशान

उन्होंने बताया कि मौके पर पहुंचकर एंबुलेंस की गाड़ियां शवों व उनके परिजनों को उचित दूरी का पालन करते हुए श्मशान घाट ले जाया जाता है। इस दौरान सभी निगम कर्मियों द्वारा सैंटाइज का इस्तेमाल करते हुए पीपीई ई कीट को पहनकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूर्ण दिया जा रहा हैं।

राजेन्द्र दहिया ने बताया कि पिछले 24 घंटों में 15 16 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है जिनमें कुछ सब फरीदाबाद के दो कुछ बाहर के भी शामिल है उन्होंने बताया कि बाहरी इसलिए क्योंकि कई बार ऐसा हो रहा है कि दिल्ली शहर में बेड न मिलने के चलते उन्हें दिल्ली एनसीआर के आसपास के जिलों में इलाज के लिए भर्ती करवा दिया जाता है

यही कारण है कि बाहरी शवों का अंतिम संस्कार में फरीदाबाद में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे हस्पताल है उसे सूचना प्राप्त होती है एसएससी गाड़ियों को भेजकर आगे के कार्य को चालू कर दिया जाता है उन्होंने बताया कि जो नजदीकी अस्पताल पढ़ते हैं उन्हें पहले और जो थोड़ा दूर है ना बाद में लेकिन कार्यों को रुकेंगे से किया जा रहा है उन्होंने बताया कि आने वाले समय में अगर जरूरत पड़ती है तो वह दो तीन और बढ़ा देंगे।

उन्होंने बताया कि बाहर के शवों को जलाने के लिए अजरौंदा चौक, जहां पीएनजी के स्टेशन है। उन्होंने बताया कि पीएनजी में एक दिन में केवल 2 शवों का ही अंतिम संस्कार किया जा सकता है। बाकी शवों का लकड़ियों के माध्यम से अंतिम संस्कार किया जाता है।

इसके अलावा सेक्टर 37, पटेल चौक हनुमान मंदिर, प्याली , एनएच -3, सेक्टर 23 मुजेसर, बल्लभगढ़ तिगांव रोड, खेड़ी पुल, ओल्ड फरीदाबाद, गौछी इत्यादि क्षेत्र भी शामिल है। उन्होंने बताया कि हमारी टीम पिछले एक वर्ष से लगातार इसी कार्य में जुटी हुई है। यही कारण है कि अब वह एक्सपर्ट हो चुकी है और अपने कार्यों को करने में निपुण है।

उन्होंने बताया कि एक्सपर्ट टीम अंतिम संस्कार करने के साथ-साथ लोगों को भी इस संक्रमण के प्रति जागरूक कर रही है ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके।

शमशान घाट के आचार्य मोहन ने बताया कि प्रतिदिन के मामले में करीबन पांच से छह शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। जिसमें 2 सामान्य चार कोविड-19 के मरीज है। उन्होंने बताया कि शवों का दाह संस्कार पीएनजी के अलावा लकड़ियों के सहारे भी किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि शवों का दाह संस्कार करने से पहले कोविड-19 के लिए जारी की गई गाइडलाइंस का पालन करते हैं, और पीपीई ई किट पहन कर ही संस्कार किया जाता है। मुझे पता है कि पीएनजी में एक साथ दो शवों पर मगर लकड़ी के माध्यम से केवल एक ही शव का दाह संस्कार हो सकता है। उन्होंने बताया कि स्थिति भयावह हो चुकी है।

उन्होंने बताया कि वह पिछले लगाकर डेढ़ वर्ष से कोविड-19 से ग्रस्त मरीजों के शवों का दाह संस्कार करने में जुटे हुए हैं। यहां तक कि अभी तक वह ढाई तीन सौ से ज्यादा शवों का दाह संस्कार कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा अभी दो शवों को लाने की जानकारी प्राप्त हुई है।

Avinash Kumar Singh

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