महामारी के बढ़ते प्रकोप ने फिरसे दुनिया की रफ़्तार थाम दी है। हर तरफ चिंता का माहौल है। लगातार बढ़ते मामलों ने हमारी लापरवाही को उजागर किया है। अब घातक वार करने वाले वायरस से फेफड़े को बचाने के लिए भाप को सैनिटाइजर माना जा रहा है। चिकित्सकों की राय है कि फेफड़े से शुरू होना वाला यह वायरस भाप लेने से निष्क्रिय हो जाता है।
लगातार बढ़ते मामलों से देश समय विदेश में फिरसे लॉकडाउन लगाने की स्थिति बन रही है। वायरस का संक्रमण बेहद तेजी से फैल रहा है। मौतों का ग्राफ भी ऊंचा है, इस कारण आम आदमी में दहशत है। महामारी का स्वरूप बड़ा होता जा रहा है। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति खुद को बचाना चाहता है।
दिल्ली में स्थिति बेकाबू हो गयी है। वहां लॉकडाउन लगाया जा चुका है। जनता महामारी के प्रकोप से बचने के लिए तरह-तरह के तरीकों को अपनाने के लिए तैयार है। रोज भाप लेकर फेफड़ों को इतना मजबूत बनाया जा सकता है कि वे महामारी का सफलतापूर्वक सामना कर सकते हैं। महामारी से बचने के लिए वैज्ञानिक शुरू से भाप लेने की सलाह दे चुके हैं।
देश में महामारी टीकाकरण अभियान पर पूरे जोर से चल रहा है लेकिन अभी तक सभी लोगों को टीका नहीं लग पाया है। कई लोग टीका लगवाने से डर रहे हैं। एक शोध में भाप को वायरस को निष्क्रिय करने का कारगर उपचार माना गया है। रोजाना भाप लेने से खांसी व बंद नाक में भी राहत महसूस होती है। यह जमा बलगम को पिघला देती है।
सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क व सैनिटाइजर, धूप का सेवन, विटामिन सी, गरम पानी, भाप लेना एवं व्यायाम इन सभी आदतों को हमें पालना है जब तक महामारी है। भाप श्वांस नलियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। साथ ही नाक व गले में जमा म्यूकस को पतला कर देता है। इससे सांस लेने में आसानी महसूस होती है। पर्याप्त आक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचने से वह स्वस्थ रहते हैं।