नवरात्र के आख़िरी दिन हुई माँ सिद्धिदात्री की विशेष पूजा

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फरीदाबाद। नवरात्रों की रामनवमी के शुभ अवसर पर सिद्धपीठ मांँ वैष्णोदेवी मंदिर तिकोना पार्क में मांँ सिद्धिदात्री की भव्य पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर मंदिर में प्रातकालीन आरती के दौरान मांँ सिद्धिदात्री की पूजा और हवन यज्ञ किया गया। श्रद्धालुओं ने मांँ सिद्धिदात्री से मन की मुराद मांगी। इस अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा के लिए पधारे श्रद्धालुओं ने मांँ से आर्शीवाद मांगा।

इस मौके पर नवरात्रों के अंतिम दिन रामनवमी के अवसर पर सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। काफी अधिक संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर में पहुंचकर मां सिद्धिदात्री की पूजा की और अर्शीवाद ग्रहण किया। इस अवसर पर विशेष तौर पर मंदिर में मौजूद प्रधान जगदीश भाटिया ने मंदिर में आने वाले भक्तों का स्वागत किया तथा प्रसाद का वितरण करवाया।

नवरात्र के आख़िरी दिन हुई माँ सिद्धिदात्री की विशेष पूजा

पूजा अर्चना के अवसर पर भाटिया ने श्रद्धालुओं को मांँ सिद्धिदात्री के धार्मिक एवं पुरौणिक महत्व की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मांँ सिद्धिदात्री को शुद्ध देसी घी से बना हलवा-पूडी का प्रसाद अतिप्रिय है। इसलिए जो भक्त सच्चे मन से मांँ सिद्धिदात्री को इस प्रसाद का भोग लगाते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं तथा मांँ उन पर हमेशा अपना आर्शीवाद बनाकर रखती हैं। मा़ंँ सिद्धिदात्री को गुलाबी रंग सबसे अधिक प्रिय है।

नवरात्र के आख़िरी दिन हुई माँ सिद्धिदात्री की विशेष पूजा

भाटिया ने भक्तों को बताया कि शक्ति की सर्वोच्च देवी माँ आदि-पराशक्ति, भगवान शिव के बाएं आधे भाग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं। माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं। यहां तक कि भगवान शिव ने भी देवी सिद्धिदात्री की सहयता से अपनी सभी सिद्धियां प्राप्त की थी। माँ सिद्धिदात्री केवल मनुष्यों द्वारा ही नहीं बल्कि देव, गंधर्व, असुर, यक्ष और सिद्धों द्वारा भी पूजी जाती हैं। जब माँ सिद्धिदात्री शिव के बाएं आधे भाग से प्रकट हुईं, तब भगवान शिव को र्ध-नारीश्वर का नाम दिया गया। माँ सिद्धिदात्री कमल आसन पर विराजमान हैं।