महामारी का दूसरा फेज शुरू हो चुका है। इस देश में सबसे ज्यादा जो शिकार हो रहे हैं बच्चे हैं और उन बच्चों को उपचार के लिए ज्यादातर परिवार वाले अपने घर पर ही होम आइसोलेशन पर रखना पसंद करते हैं। अभिभावकों का मानना होता है कि बच्चों की अच्छी देखभाल अस्पताल की बजाय घर पर ही हो सकती है।
होम आइसोलेशन पर किस प्रकार हम अपने बच्चों की केयर कर सकते हैं। इस बारे में बीके अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विकास का कहना है कि अगर बच्चे की उम्र 5 साल से कम है तो उसके साथ मां या पिता को तो हमेशा साथ रहना पड़ेगा।
क्योंकि उनको ऐसा महसूस नहीं होना चाहिए कि वह किसी कैद खाने में बंद है। इसीलिए उन दोनों में से एक को हमेशा के साथ रहना चाहिए। इसके अलावा बच्चे का इस्तेमाल करने वाला शौचालय भी अलग होना चाहिए। ताकि महामारी की चपेट में कोई और व्यक्ति ना आ सके।
अगर पिता और मां बच्चे के साथ रहते हैं। तो उनको ग्लव्स और मास्क 24 घंटे पहनना चाहिए और खुद को और कमरे को समय-समय पर सैनिटाइजर करना चाहिए। ताकि वह महामारी की बीमारी से बच सकें। उन्होंने बताया कि बच्चे की इम्युनिटी पावर काफी कमजोर होती है।
इसीलिए बच्चे को ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक आहार देना चाहिए। जिसमें दलिया, खिचड़ी, फ्रूट, हरी सब्जियां, जूस, नारियल पानी आदि होना आवश्यक है। इसके अलावा बच्चे को समय-समय पर दवाइयां भी खिलाने चाहिए।
ताकि उसकी इम्युनिटी पावर इनक्रीस और जल्दी से इस महामारी से लड़ कर बाहर आ सके। डॉक्टर विकास ने बताया कि बच्चों को प्यार की जरूरत होती है। इसलिए बच्चों को प्यार से समझा कर उपचार करना चाहिए। ताकि उनको ऐसा न लगे कि परिवार वाले उन पर किसी प्रकार का दबाव डाल रहे हैं।
बच्चों को हमेशा डिस्पोजल में खाना देना चाहिए। इसके अलावा बच्चों को खेलने के लिए भी मना नहीं करना चाहिए। बच्चों को उनके कमरे में इंदौर गेम्स के जरिए खेलने देना चाहिए।
ताकि उनको ऐसा न लगे कि वह एक ऐसी बीमारी से ग्रस्त है जिससे कि ठीक ना हो सके। इसलिए बच्चों का मन जिसमें भी लगे चाहे वह पढ़ाई हो या खेल उससे उनको वंचित नहीं रखना चाहिए।