पूरे देश में इस महामारी का हाहाकार मचता जा रहा है। सैकड़ों लोग अपने जीवन से हाथ धो रहे हैं ।अनगिनत मृत्यु रोजाना सामने आ रही हैं।हजारों लोग हॉस्पिटल में दम तोड़ रहे हैं ।
लाखों लोगों की भीड़ श्मशान घाटों के सामने खड़ी है। इस समय इस महामारी में कोई अपना तक पास नहीं आ रहा, उस परिवार पर क्या बीत रही होगी जो इस महामारी में अपने प्रिय जनों को खो रहे हैं।
ऐसे ही एक मां और एक बेटी के पिता का पार्थिक शरीर हॉस्पिटल में शव घर में रखा हुआ था। जब उन्होंने अपने प्रिय जनों से मदद मांगी तो कोई भी आगे बढ़कर नहीं आया। सबने उन्हें मदद करने के लिए साफ इनकार कर दिया। ऐसी स्थिति में उन दोनों मां बेटी पर कितना बुरा बीत रही होगा इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता।
जैसे ही उनको मिशन जागृति का नंबर मिला। उन्होंने उनके पास फोन किया रात में 11:00 बजे प्रवेश मालिक के पास फोन आया। सुबह ही मिशन जागृति के 4 लोगों ने हॉस्पिटल पहुंचकर उनकी मदद करें।
मिशन जागृति के साथियों विकास कश्यप ,दिनेश राघव, और अशोक भटेजा ने मिलकर उनका अंतिम संस्कार किया। इस समय जब इस संस्था ने उनकी इतनी मदद करी तो कविंद्र चौधरी ने परमात्मा से उनके पूरे टीम के लिए स्वस्थ और सुरक्षित रखे ऐसी मनोकामना करी।विकास कश्यप और दिनेश राघव ने यह बताया कि इस समय पूरे देश को ऑक्सीजन की कितनी ज्यादा जरूरत है ऐसी स्थिति में हर एक को एक दूसरे की मदद करनी चाहिए।
अशोक भट्टाचार्य जी ने भी बताया की उनके पास तो इस महामारी की किट नहीं है, हाथों में उनके दस्ताने नहीं है, उनके पास मास्क नहीं है तो स्थिति बहुत ही गंभीर है ।सरकार को और प्रशासन को इसके ऊपर जरूर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ऐसी स्थिति को ठीक करने के लिए कठिन से कठिन निर्णय लेने चाहिए, स्थिति को गंभीरता से सरकार को इसके ऊपर कुछ ना कुछ विकास करना चाहिए।
विकास कश्यप जी ने बताया कि जब पहले यह महामारी फैली थी तब भी उनकी मिशन जागृति की पूरी टीम ने लॉकडाउन में परेशान हुए हर व्यक्ति की मदद करी थी और उनकी टीम महिला टीम हर वक्त लोगों की सेवा में खड़ी है ।हर टाइम वह हर किसी के साथ खड़े हैं ,उनका इतना अच्छा मुहिम चलाना लाखों लोगों की सेवा में हमेशा खड़े हैं ,और ऐसे ही उनके पूरी संस्था को दिल से दुआ है।