पिछले हफ्ते में महामारी का दौर इतना बढ़ गया है कि अस्पतालों में बेड की संख्या कम नजर आने लगी है। अगर हम वास्तविकता की बात करें तो अस्पताल में मरीजों की संख्या बेड की संख्या से कई गुना ज्यादा है।
अस्पताल प्रबंधकों का कहना है कि अस्पताल में मरीजों की संख्या आए दिन बढ़ती जा रही है और वह मरीज से आईसीयू यानी गंभीर मरीजों की संख्या में ही इजाफा देखने को मिल रहा है। जिनको ऑक्सीजन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है और आज के समय में जिले में ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही है।
ईएसआईसी अस्पताल वाह मेडिकल कॉलेज के रजिस्ट्रार डॉ एके पांडे ने बताया कि उनके यहां पर मरीजों की संख्या में आए दिन इजाफा देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि जो मरीज पहले ऑक्सीजन पर थे उनकी हालत बिगड़ती जा रही है और उनको अब एच डी यू में भर्ती किया जा रहा है।
अब अस्पताल की हालत ऐसी हो चुकी है कि अस्पताल ओवरलोडेड हो चुका है। आईसीयू, एचडीयू और ऑक्सीजन वाले बेड पूरी तरह से फुल हो चुके हैं। अगर हम जनरल वार्ड की बात भी करें तो वहां पर भी मरीजों की संख्या काफी देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि कई बार मरीज नेगेटिव हो जाता है।
लेकिन उसके बावजूद भी उसकी हालत में कोई सुधार नहीं होता है। इसलिए उनको डिस्चार्ज नहीं किया जाता है। जब तक मरीज की हालत में सुधार नहीं होगा तब तक अस्पताल से उसको डिस्चार्ज नहीं किया जाता है। उन्होंने बताया कि उनके हर रोज सैकड़ों मरीजों को मना किया जा रहा है।
सेक्टर 8 स्थित सर्वोदय अस्पताल की बात करें तो वहां पर भी जनरल वार्ड से लेकर आई सी यू वार्ड पूरी तरह से फुल है। उन्होंने बताया कि उनके पास भी ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही है। इसी वजह से उनको भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जिले में ऑक्सीजन की सप्लाई कम होने की वजह से मरीजों को तो परेशानी ही रही है। साथ ही अस्पताल को भी परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि जो मरीज थोड़े बहुत ठीक हो जाते हैं। उनको जीवा क्लिनिक हॉस्पिटल में शिफ्ट किया जा रहा है।
उनके द्वारा वहां के 50 बेड को कोविद सेंटर में तब्दील किया गया है। उन्होंने बताया कि पहले मात्र 10 मरीजों को ही ऑक्सीजन चाहिए होती थी। लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 200 हो चुकी है। जिसकी वजह से उनके यहां पर भी ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही है ।
वही इस बारे में डिप्टी सीएमओ डॉ गजराज का कहना है कि जिले जिले के किसी भी बड़े अस्पताल में कोई भी आईसीयू बेड खाली नहीं है। इसके अलावा ऑक्सीजन की भी जिले में काफी कमी देखी जा रही है। जिसकी वजह से उनके पास हर रोज सैकड़ों की संख्या में मरीजों के फोन तो आ रहे हैं। लेकिन मैं किसी को भी बेड प्रोवाइड नहीं करवा पा रहे हैं।