कहते हैं नारी का जीवन जितना संघर्ष में होता है जितनी चुनौतियां उसे जिंदगी में मिली होती है यह सब उसे एक सशक्त नारी बनने में सहयोग करती हैं। तभी तो यह नारी कभी किसी की मां, कभी किसी की बहन, कभी किसी की पत्नी तो कभी किसी के लिए एक उजाले की तरह आकर जिंदगी को सवार देती है।
मगर फरीदाबाद की एक ऐसी ही नारी सामने आकर संक्रमित मरीजों को जीवनदान समाज के लिए अभिप्रेरणा का स्त्रोत बन गई है।
हम बात कर रहे हैं एनआईटी निवासी कमल
भाटिया की जिन्होंने किसी कोरोना संक्रमित का जीवन बचाने की कोशिशों के तहत डेरा संत भगत सिंह ब्लड बैंक में प्लाज्मा दान किया है। कमल भाटिया से पहले अंजलि चौहान, मीतू मेहंदीरत्ता, अनुष्का सेठी और हरियाणा रेडक्रास सोसायटी की वाइस चेयरमैन सुषमा गुप्ता प्लाज्मा दान कर इस तरह के उदाहरण प्रस्तुत कर चुकी हैं, जिनसे और लोग भी प्रेरित हो रहे हैं।
दंत चिकित्सक डा.शेफाली की सहायक फ्रंटलाइन वारियर्स कमल भाटिया गत वर्ष सितंबर माह में कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गई थी। अब जब कोरोना का दूसरी लहर शुरू हुई और ज्यादा लोग संक्रमित होने लगे, तो प्लाज्मा का संकट पैदा हो गया। ऐसे में कमल ने अपना नैतिक कर्तव्य समझते हुए प्लाज्मा दान करने की इच्छा व्यक्त की।
कमल भाटिया द्वारा उठाया गया यह कदम जितना सराहनीय है, उतना अभिप्रेरणा करने वाला भी है। एक तरफ जहां लॉकडाउन के चलते ग्रहणी के ऊपर कार्यों का बोझ बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ से सब कुछ समझते बुझते हुए और सहजता के साथ अपने कार्यों को पूरी लगने के साथ कर रही है यह भी किसी अभिप्रेरणा से कम है क्या।
महिला उद्यमी मीतू मेहंदीरता कहती हैं कि
यह एक बेहद कठिन समय है। अगर प्लाज्मा से किसी की जान बच सकती है, तो निसंकोच और बेझिझक होकर इस नेक कार्य को करने के लिए आगे आएं। मैं भी पूर्व में प्लाज्मा दान कर चुकी हैं और यह बेहद सरल तरीके से किया जाने वाला कार्य है।
वहीं हरियाणा रेड क्रॉस सोसाइटी की वाइस चेयरमैन सुषमा गुप्ता का मानना है कि आज की नारी हर काम करने में सक्षम है। मैंने भी प्लाज्मा दिया था। ऐसी युवतियां जो कोरोना संक्रमण से उबर चुकी हों, वो अपना खून का सैंपल देकर एंटी बाडी की जांच करा सकती हैं। एंटी बाडी बनी है, तो प्लाज्मा दान कर किसी की जिंदगी बचाने में अपना योगदान दें।