महामारी के इस काल में लोगों की मृत्यु काफी अधिक हो रही है। हर राज्य में मृत्यु का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। महामारी से ग्रस्त मरीज़ों की मौतों का आकड़ा हर दिन बढ़ता जा रहा है। ऑक्सीजन की कमी से लोगों का दम घुट रहा है। ऑक्सीजन के दो सिलिंडर लेकर गाजियाबाद जा रही गाड़ी को गतौली चौकी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने सोमवार की रात में करीब 11 बजे रोक लिया।
पुलिसकर्मियों के आगे हाथ – पैर जोड़े गए लेकिन कुछ फर्क किसी को नहीं पड़ा। पीड़ितों ने वीडियो कॉल कर मरीज की हालत को दिखाया, फिर भी पुलिसकर्मी नहीं माने और गाड़ी चालक का मोबाइल छीन लिया। उसे जांच के नाम पर चौकी में बंद कर दिया गया।
लोगों को सेवा करने वाली पुलिस लोगों की जान ले रही है। चालान के नाम पर पैसा नहीं दिया गया इसलिए निर्दोष आदमी को हवालात में बंद कर दिया गया। जब तक गाड़ी चालक को छोड़ा गया तब तक गाजियाबाद निवासी 60 वर्षीय ललित मोहन की ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत हो चुकी थी। इस मामले की शिकायत डीआईजी से की गई है। उन्होंने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
अमानवीय चेहरा पुलिस का पहली बार उजागर नहीं हुआ है। पहले कई मौकों पर हरियाणा पुलिस बदनाम हुई है। डीआईजी को दी शिकायत में पंजाब निवासी राजेंद्र ने बताया कि गाजियाबाद में उनके रिश्तेदार निखिल गोयल के ससुर ललित मोहन महामारी से संक्रमित थे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनको घर पर ही क्वारंटीन किया गया था।
पुलिस को सहायता करनी चाहिए थी लेकिन उसने एक ज़िंदगी को लील लिया। उन बुज़ुर्ग की देखभाल करने वाले चिकित्सकों ने बताया कि उनके पास मंगलवार सुबह चार बजे तक की ही ऑक्सीजन बची है। इसके बाद उन्होंने धुरी से दो ऑक्सीजन के सिलिंडर खरीदकर गाड़ी चालक गुरप्रीत उर्फ निक्का को देकर गाजियाबाद के लिए भेज दिया था। पीड़ित ने आरोप लगाया कि ड्यूटी पर तैनात सभी पुलिसकर्मी नशे में धुत थे।