जानिये हरियाणा सरकार का बिजली रेट को लेकर ये बड़ा फैसला, उद्योगपति से लेकर गरीब आदमी सभी खुश

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    प्रदेश की मनोहर लाल सरकार ने हर किसी को एक बड़ी राहत प्रदान की है। इससे गरीब तबका सबसे अधिक खुश है। दरअसल, प्रदेश में इस बार भी बिजली उपभोक्ताओं पर बिलों का आर्थिक बोझ नहीं बढ़ेगा। बल्कि उद्योगों को कुछ राहत मिल सकती है। ताकि प्रदेश के आर्थिक व्यवस्था ठीक-ठाक चलती रहे। इस बार दक्षिणी हरियाणा बिजली वितरण निगम और उत्तरी निगम ने इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन को अपनी एआरआर जो सौंपी है, उसमें ऐसी कोई डिमांड नहीं है।

    तड़पती गर्मियों में बिजली का बिल काफी अधिक आता है। सरकार के इस फैसले से इस साल सबकुछ हद में रह सकता है। बिजली कंपनियां एआरआर में अपने वर्तमान वर्ष के लेखे-जोखे के साथ अगले वित्तीय वर्ष के संभावित खर्चे और आय का ब्यौरा कमीशन के सामने पेश करती हैं।

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    देश समेत प्रदेश में बिजली खपत जिन दिनों में सबसे अधिक होती है वो चालू हैं। जून में और ज़्यादा बिजली खपत होगी। कंपनियों की एआरआर दर्ज डिमांड और खर्च के अनुसार कमीशन बिजली टैरिफ तय करता है। प्रदेश के 70 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ नहीं बढ़ेगा। नया टैरिफ एक अप्रैल से लागू होता है। ऐसे में जल्द ही कमीशन टैरिफ जारी कर सकता है।

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    मनोहर लाल खट्टर के इस फैसले से और बिजली के रेट न बढ़ने से ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी इलाकों तक हर जगह राहत है। सभी के चेहरों पर हसी है। आपको बता दें, सूबे में यह छठा साल होगा, जब बिजली के रेट नहीं बढ़ेंगे। इससे पहले 2015-16 में बिजली बिलों में 8.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी तो 2013-14 में तत्कालीन सरकार ने करीब 12.8 प्रतिशत रेट बढ़ाए थे। 2014 चुनावी वर्ष था, इसलिए 2014-15 में बिजली बिलों में इजाफा नहीं हुआ था।

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    महामारी के दौरान यह फैसला सभी को पसंद आ रहा है। गर्मियां आने से पहले सरकार के इस फैसले को गरीब इसे अपने लिए तोहफा मान रहे हैं। आपको बता दें प्रदेश में इंडस्ट्री और कॉमर्शियल बिजली प्रति यूनिट 7.05 रुपए तय किए हुए हैं। बिजली के कृषि कनेक्शन पर प्रति यूनिट 10 पैसे चार्ज लिया जा जाता है।