माहमारी फिर बनी गले की फांस, अब सवारियां ना मिलने से फिर हरियाणा रोडवेज को आर्थिक नुकसान

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बुधवार को हरियाणा रोडवेज संचालित कर रहे चालकों व परिचालकों की सुरक्षा हेतु एक बैठक का आयोजन किया जाना था। परंतु कोविद 19 के हालात को देखते हुए इसे फिलहाल के लिए टाल दिया गया है।

वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के परिवहन और खनन मंत्री मूलचंद शर्मा का मानना है कि पिछले वर्ष संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन और कर्फ्यू के माहौल में वैसे ही हरियाणा रोडवेज को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।

माहमारी फिर बनी गले की फांस, अब सवारियां ना मिलने से फिर हरियाणा रोडवेज को आर्थिक नुकसान

जैसे तैसे थोड़े बहुत हालात सामान्य होने ही थे कि फिर आंदोलन ने वही हाल आज लाकर खड़ा कर दिया। दरअसल, किसान आंदोलन की शुरुआत होते ही दिल्ली की ओर जाने वाली अधिकांश बसों को खड़ा करना पड़ा था।

इस बीच रोडवेज संगठनों की ओऱ से दूसरी लहर में बने हालात के बीच काम करने वाले रोडवेज चालकों, परिचालकों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है। इस क्रम में कर्मचारी संगठन अपने मांगपत्र भी मंत्री को सौंप चुके थे।

माहमारी फिर बनी गले की फांस, अब सवारियां ना मिलने से फिर हरियाणा रोडवेज को आर्थिक नुकसान

हरियाणा रोडवेज संगठनों के नेताओं के साथ में होने वाली परिवहन मंत्री औऱ अधिकारियों की बैठक बुधवार को भी बिगड़ते हालात, कोरोना की चुनौती के कारण नहीं हो सकी है।

परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा का कहना है कि कोरोडा की गाइडलाइन और नियमों का पालन करते हुए रोडवेज की बसों के संचालन का प्रयास किया जा रहा है। सरकार की सोच है कि यह कोई लाभ कमाने का साधन नहीं हैं। उसके बाद भी सामान्य माहौल होने पर बसों के संचालन से रोडवेज फिर भी पटरी पर रहती है।

माहमारी फिर बनी गले की फांस, अब सवारियां ना मिलने से फिर हरियाणा रोडवेज को आर्थिक नुकसान

इस समय भी रोडवेज की लगभग दो हजार बसें ही मुश्किल से संचालित हो रही हैं। पूर्व में माहौल ठीक होने पर दो हजार से ज्यादा बसें चल रहीं थी लेकिन एक बार फिर ग्राफ नीचे जाने लगा है। अक्टूबर में हरियाणा रोडवेज की 18 सौ बसें संचालित होने लगी थी, नवंबर आते आते इनकी संख्या दो हजार के पार अर्थात 21 सौ तक हो गईं थी, जिससे काफी आशा बंधी थी।