जहां एक और दिन प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी ओर लोग टेस्टिंग करवाने के लिए भी अस्पतालों के चक्कर लगाते हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन अस्पताल में आरटी पीसीआर टेस्ट नहीं हो रहे हैं।
जिसकी वजह से लोग रैपिड टेस्ट करवाने को मजबूर है।सूत्रों का कहना है कि रैपिड टेस्ट रिपोर्ट सही नहीं मानी जा रही है।
लेकिन बी के अस्पताल में आने वाले मरीजों को कर्मचारी भी रैपिड टेस्ट करवाने के लिए आग्रह कर रहे हैं। क्योंकि आरटी पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट कब तक आएगी इस बारे में हमको कोई जानकारी नहीं है।
इसीलिए अस्पताल में मौजूद मरीज ज्यादा ज्यादा संख्या में रैपिड टेस्ट ही करवा रहे हैं। बीके अस्पताल अन्य जगहों पर पिछले कुछ दिनों से टेस्टिंग की प्रक्रिया को बंद किया हुआ था। जो कि टेस्ट करने के बाद लैब में टेस्ट को भेजा जाता था।
लेकिन लैब के कर्मचारी पॉजिटिव होने की वजह से लैब को बंद करना पड़ा था। जिसकी वजह से लोगों को आरटी पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट लेने के लिए कई दिनों तक बीके अस्पताल में चक्कर लगाना पड़ रहे थे।
इसी वजह से उच्च अधिकारियों के द्वारा कुछ दिनों के लिए अस्पताल में टेस्टिंग की प्रक्रिया को बंद कर दिया गया था। लेकिन अब टेस्टिंग की प्रक्रिया को शुरू तो कर दिया गया है। उसमें भी सिर्फ रैपिड टेस्ट करवाने पर जोर दिया जा रहा है।
क्योंकि अभी भी कर्मचारियों का यही कहना है कि आरटी पीसीआर की रिपोर्ट कब तक आएगी इस बारे में उनको कोई भी जानकारी नहीं है। इसीलिए बीके अस्पताल में मौजूद ज्यादातर मरीज रैपिड टेस्ट ही करवा रहे हैं।
टेस्टिंग विभाग के इंचार्ज ने बताया कि अभी लैब के कर्मचारी ठीक नहीं हुए हैं। इसीलिए आरटी पीसीआर की रिपोर्ट में इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसीलिए वह लोगों को रैपिड टेस्ट करवाने के लिए ज़ोर दे रहे हैं।
क्योंकि रैपिड टेस्ट की रिपोर्ट मात्र 15 मिनट में उनको मिल जाती है। जिसकी वजह से उनको अस्पताल के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं और वह आसानी से टेस्ट करवा कर रिपोर्ट लेकर अपने घर चले जाते हैं।
अगर कोई व्यक्ति पॉजिटिव पाया जाता है। तो उसका उपचार भी समय पर शुरू हो जाता है क्योंकि rt-pcr की रिपोर्ट 4 से 5 दिन के बाद आती है। जिसके बाद ही मरीज का उपचार शुरू होता है।