इस महामारी में जहां हम हर रोज़ सुन रहे हैं की लाखों में लोग जान गवा रहे हैं। जहां एक तरफ लोग रोजाना मर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी हैं । जो हौसला, प्रार्थना, हिम्मत से अपनी जान बचा रहे हैं और स्वस्थ होकर घर लौट रहे हैं।
ऐसे ही एक पाली गांव की 100 वर्षीय महिला भरपाई देवी है। जिन्होंने इस महामारी को मात देकर ठीक होकर अपने घर गए हैं। उन्होंने पूरे इलाज के दौरान दवा ,सेवा ,प्रार्थना, हिम्मत व हौसला नहीं छोड़ा। उन्होंने अपने मन में यह ठान लिया था कि वह ठीक होकर अपने घर अपने बच्चों के पास लौटेंगे। उनकी उम्र 100 वर्षीय होने के बावजूद भी वह अपने शरीर की परेशानियों के साथ लड़ती रही।
उन्होंने कभी मन में यह नहीं आने दिया कि मुझसे बड़ी मेरी बीमारी है। हमेशा खुश होकर हर बीमारी से लड़ी है। उसके बावजूद उनके फेफड़े बिल्कुल खराब हो चुके थे। उन्हें लगभग 45 साल पहले टीबी हुआ था। जिसके कारण उनके फेफड़े एकदम खराब हो चुके थे।
उन्हें इस महामारी के दौरान सांस लेने में भी बहुत परेशानी हो रही थी। उन्हें 1 मार्च को एशियन अस्पताल में भर्ती कराया गया । उनकी स्थिति उस समय इतनी अच्छी नहीं थी। उन्हें आईसीयू में भी रखा गया । इतनी बड़ी उम्र होने के कारण सभी को उनकी ज्यादा निगरानी रखने को कहा गया। डॉक्टर मानव मनचंदा ने बताया की वह इतनी हिम्मतवाली है कि उन्होंने डॉक्टर से यही कहा कि मुझे ठीक होना है ,मुझे मेरे घर लौटना है।
उनका आरटी पीसीआर कराया तो वह संक्रमित निकली। बड़ी उम्र होने के कारण उन पर बहुत निगरानी रखी गई। देखते ही देखते अप्रैल के पहले सप्ताह में आईसीयू से निकाल कर उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।
9 अप्रैल को भरपाई देवी अपने घर लौटी इतनी खुश है कि उनकी नाती सुरेंद्र सिंह ने बताया कि वह अपने काम खुद कर रही हैं । उनकी हिम्मत कि हम दाद देते हैं कि इस खतरनाक समय में भी उन्होंने अपना हौसला नहीं छोड़ा और वह लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं कि कभी भी अपने हौसला नहीं छोड़ना चाहिए और हर बीमारी से लड़ना चाहिए। बीमारी खुद से बड़ी नहीं होती।