महामारी का प्रकोप हर किसी के लिए जानलेवा होता जा रहा है। नए मामलों में बढ़ोतरी के साथ – साथ मौत का ग्राफ भी ऊंचा होता जा रहा है। महामारी ने बहुत से परिवारों की खुशियां छीन ली हैं। ऐसा ही एक मंज़र बरेली से देखने को मिला। छोड़ेंगे न हम तेरा साथ ए साथी मरते दम तक। यह गीत अमर प्रेम कहानी बन गई। पूरी जिंदगी एक साथ जिए, दुनिया भी छोड़ी तो एक साथ। एक ही दिन में पति-पत्नी दोनों ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
जिसने भी इस दृश्य को देखा वो मोन हो गया। आँखों में आंसू आने लगे। न जाने कितने ही परिवार यह बीमारी उजाड़ेगी। बेटियां मां की चिता को आग देने ही वाली थीं कि उन्हें पिता के मौत की सूचना मिली। इस खबर ने बेटियों के साथ वहां मौजूद लोगों को बेचैन कर दिया। बेटियों काे मां-पिता को मुखाग्नि देते हुए देख सबकी आंखें भर आईं।
महामारी की दूसरी लहर इस समय अपना कहर ही दिखा रही है। दूसरी लहर में मौत का तांडव देखने को मिल रहा है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही है। बरेली निवासी 75 वर्षीय राजेन्द्र कुमार को कई दिन पहले अलवर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिनको लीवर की बीमारी थी। इसी बीच उनकी 70 वर्षीय पत्नी सुमन की भी तबीयत बिगड़ गई। इनकी दो बेटियां व एक बेटा है, जो अमेरिका में नौकरी करता है।
न जाने ऐसे कितने ही हस्ते – खेलते परिवारों को महामारी ने लील लिया है। इस मामले में पिता की तबीयत खराब होने पर बेटियां पिता को दिल्ली लेकर गईं। वहां बेड नहीं मिलने के करण पिता को अलवर के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया। कुछ दिन बाद मां की तबीयत खराब हुई। उनको भी अलवर के अस्पताल में भर्ती कराया। कई दिन से उनका अलवर में इलाज चल रहा था। दोनों बेटियां ही देखरेख में लगी थी।
देश के सभी राज्यों में महामारी ने अपनी पकड़ काफी मजबूत बना ली है। हर दिन मामलों में इज़ाफ़ा हो रहा है। महामारी से हाहाकार मचा हुआ है। इस मामले में मंगलवार को उनकी मां की मौत हो गई थी और मंगलवार दोपहर बाद करीब दो बजे जब बेटी सगुन अपनी मां की चिता को अग्नि देने की तैयारी में थी, उसी समय अस्पताल से उनके पास फोन आया कि पिता का भी निधन हो गया है।