बुजुर्ग लोगों के लिए यह महिला बनी मसीहा, ढाई साल से दे रही है फ्री में खाना

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कहते हैं घर में बड़े बजुर्ग का होना बहुत जरूरी है अगर बड़े बुजुर्ग हैं तो उनकी दुआओं से कभी आपको जीवन में असफता नहीं मिलेगी। बड़े बुजुर्गों का सिर पर हाथ रहना बहुत ही महत्वपूर्ण है। जिस घरों में बड़े बुजुर्ग हैं उस में खुशियां ही खुशियां होती हैं।

पर कभी-कभी कुछ ऐसे लोग होते हैं जो बड़े बुजुर्गों को अपने ऊपर बोझ समझते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि वह उनको परेशानी दे रहा है।

बुजुर्ग लोगों के लिए यह महिला बनी मसीहा, ढाई साल से दे रही है फ्री में खाना

यही कारण की वजह से वह अपने माता-पिता को बड़ी उम्र में, जब उन्हें उनका सहयोग चाहिए तब उन्हें छोड़ देते हैं। उन्हें ओल्ड एज होम में छोड़ आते हैं या तो उनको अपने आप से अलग कर देते हैं।

जो बहुत ही गलत बात है जिन मा बाप ने उन्हें जिंदगी भर पाला, बड़ा किया उन्हें ही छोड़ देना बहुत ही शर्म दायक बात है। बड़े बुजुर्गों में इतनी क्षमता नहीं है कि वह कुछ कार्य खुद कर सके।

बुजुर्ग लोगों के लिए यह महिला बनी मसीहा, ढाई साल से दे रही है फ्री में खाना

उनके लिए एक वक्त का खाना बनाना भी बहुत परेशानी की बात होती है। इस महामारी के समय में और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा होगा। पर अब ऐसा नहीं होगा हमारे क्षेत्र में कुछ ऐसे लोग अभी भी हैं जो बड़े बुजुर्गों का आदर करते हैं और उनसे प्यार करते हैं। हम बात कर रहे हैं सोनिया समाजसेवी जो ढाई साल से एक संस्था का हिस्सा है।

बुजुर्ग लोगों के लिए यह महिला बनी मसीहा, ढाई साल से दे रही है फ्री में खाना

जिसमें वह बुजुर्गों को घर तक खाना पहुंचा रहे हैं। वह बुजुर्ग जिनकी उम्र बहुत बड़ी है जो खुद खाना नहीं बना सकते। उनको उनके दरवाजे तक खाना पहुंचाने की सेवा जारी है। इस महामारी के समय में भी वह जो बुजुर्ग इस महामारी से पॉजिटिव है उनके लिए भी खाना उनके घरों तक पहुंचा रहे हैं।

यह खाना बहुत ही साफ हाथों से बनाया जाता है। वह पहले अपनी सारी सब्जियों को गर्म पानी में धोती हैं और सेनेटीज़ करके ही खाना बनाते हैं। खुद का भी उतना ही ध्यान रखती हैं। अपने आप को भी स्वच्छ रकती और साफ हाथों से खाना बनाते हैं। जिससे हर किसी के घर मे साफ खाना जाए जो खाना खाकर मरीज जल्द से जल्द ठीक हो जाए।

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उन्होंने बताया कि वह, उनके पति और उनके दो बच्चे भी उनकी सहायता करते हैं। वह सारे मिलजुल कर हर किसी के घर में जाकर उनको खाना पहुंचाते हैं। उनका खाना इतना स्वादिष्ट होता है।

वह मसालों का भी पूरा ध्यान रखती हैं कि जितने भी महामारी से ग्रस्त लोग हैं उनको ज्यादा मसाला का खाना ना जाए, उनको पोस्टिक आहार जाए, साफ खाना जाए इसका पूरा ध्यान रखा जाता है।

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इस महामारी के समय में भी लगभग 50 लोगों को वह खाना दे चुकी हैं। जिसमें ज्यादातर बुजुर्ग हैं और इस वजह से ही बड़े बुजुर्गों की दुआएं उनके सिर पर हैं। बड़े बुजुर्ग उनका खाना खाकर बहुत ही खुश हैं और उन्हें बहुत दुआएं देते हैं।

ऐसे ही लोगों को समझना चाहिए कि बड़े बुजुर्गों उनके ऊपर बोझ नहीं है। बुजुर्गों को सिर्फ प्यार चाहिए होता है उन्हें अपने से अलग ना करें उनके साथ रहे।