महामारी के चलते लोगों के काम-धंधे बंद हो गए हैं ऐसे में मजदूर तबके के सामने भरण-पोषण का संकट उत्पन्न हो गया है। देशभर के अलग-अलग हिस्सों से मजदूर तबके की परेशानियों को लेकर तमाम खबरें सामने आ रही हैं ऐसी ही एक मामला पलवल से सामने आया है जहां दशहरा मैदान में रहने वाले करीब 80 परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा है और इस बार ना तो उनकी मदद करने के लिए कुछ समाजसेवी आगे आ रहा है ना ही प्रशासन।
झोपड़ियों में रहने वाले यह सब परिवार रोजाना मजदूरी करके अपनी गुजर-बसर करते हैं. यूपी से निकलकर यह लोग दिल्ली और अब दिल्ली से निकलकर पलवल में पिछले कई सालों से झोपड़ियों में रह रहे है.
लॉकडाउन के चलते उनका काम धंधा ठप्प हो चुका है और अब इनको मजदूरी भी नहीं मिल रही है. घर में रखा खाने का राशन लगभग खत्म हो चुका है और आंखें समाजसेवी और प्रशासन की तरफ उम्मीद की आस लगाए देख रही हैं. लेकिन इस बार ना तो यहां कोई समाजसवी आ रहा है. ना ही प्रशासन की तरफ से इनको कोई मदद की जा रही है.
जहां एक तरफ इनको खाने की समस्या को लेकर परेशानी है. तो दूसरी तरफ ना तो यहां पर किसी प्रकार का कोई कोरोना जांच के लिए कैंप लगाया गया है और ना ही इन लोगों को वैक्सीन मिल पाई है.
लोगों ने बताया कि वह बेहद कम पढ़े लिखे हैं और उनके लिए वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन कराना संभव नहीं है. कई लोगों ने बताया कि पिछले 16 दिनों से वह लोग चावल खा कर गुजारा कर रहे हैं. लेकिन प्रशासन की तरफ से उनको ना तो राशन मिला है ना ही वेक्सीन.