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9 साल के बच्चे को महामारी से बचाने के लिए एक परिवार ने अपनाया यह तरीका, जानिए क्यों

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महामारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसी के चलते जिले में महामारी से संक्रमित लोगों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिल रहा है। अगर हम होम आइसोलेशन वाले मरीजों की बात करें।

तो उसमें ज्यादातर पूरा परिवार ही होम आइसोलेशन पर रहता है। क्योंकि अगर एक व्यक्ति महामारी से संक्रमित हो जाता है तो उसकी देखरेख के चलते पूरा परिवार उसकी चपेट में आ जाता है।

9 साल के बच्चे को महामारी से बचाने के लिए एक परिवार ने अपनाया यह तरीका, जानिए क्यों

ऐसे ही एक परिवार से आज हम आपको रूबरू कराएंगे जिसमें मां-बाप समेत एक 15 साल की बेटी महामारी संक्रमित हो गई। लेकिन उनका 9 साल का बेटा संक्रमित से बच गया और उसे इस संक्रमित से पूर्ण रूप से बचाने के लिए उसको घर के एक कमरे में कैद कर दिया और उसको उसी कमरे में सारी सुविधाएं उपलब्ध कराएं। ताकि वह इस महामारी से बच सकें।

सूरज कुंड रोड पर स्थित ओमेक्स हिल्स 2 की रहने वाली स्वाति ने बताया कि उनके पति एक कंपनी में कार्यरत है। जिनका नाम नितिन है। उनकी कंपनी में कार्य करने वाला कर्मचारी महामारी से संक्रमित हो गया।

9 साल के बच्चे को महामारी से बचाने के लिए एक परिवार ने अपनाया यह तरीका, जानिए क्यों

जिसके बाद उनके पति भी इस महामारी की चपेट में आ गए और उसके बाद वह खुद व उनकी 15 साल की बेटी उज्जेश भी उसकी चपेट में आ गई। लेकिन उनका 9 साल का बेटा इस महामारी की चपेट में नहीं आ सका।

श्वेता ने बताया कि अपने बेटे को इस महामारी से बचाने के लिए उनके पूरे परिवार ने उसको एक कमरे में कैद कर दिया और उसको जो भी सुविधाएं या जो भी चीजें चाहिए होती थी वह उसको उसी कमरे में दी जाती थी। इसके अलावा उन्होंने बच्चे को समझाया था कि वह उस एरिया में नहीं आएगा। जिस एरिया में वह लोग रह रहे थे।

9 साल के बच्चे को महामारी से बचाने के लिए एक परिवार ने अपनाया यह तरीका, जानिए क्यों

उन्होंने बताया कि महामारी के दौरान उनसे खाना नहीं बनाया जा रहा था। इसीलिए उनके ओमेक्स हिल्स में रहने वाले सिद्धार्थ के द्वारा उनको फ्री लंच और डिनर की सेवा दी जा रही थी। इसके लिए वह तहे दिल से उनका शुक्रिया अदा करते हैं। उन्होंने बताया कि इस महामारी में सिद्धार्थ जैसे लोग अगर हर सोसाइटी में या सेक्टर में मौजूद हो जाएं।

तो होम आइसोलेशन पर रहने वाले मरीज जल्दी ठीक होकर अपने परिवार के साथ दोबारा से खेल सकते हैं। इस महामारी को मात देने में उनका काफी योगदान रहा है और उन्होंने अपने परिवार को भी इस महामारी से बचाने के लिए काफी मोटिवेट करा है।

9 साल के बच्चे को महामारी से बचाने के लिए एक परिवार ने अपनाया यह तरीका, जानिए क्यों

उनका मानना है कि महामारी से अगर किसी व्यक्ति को बाहर निकलना है। तो उसके लिए उसको निराश होने की जरूरत नहीं है। बस उसके लिए उनको हौसला अफजाई की जरूरत है। वह उनको उनके परिजनों व यार दोस्तों से मिलते हैं। इसीलिए अगर आपके यहां पर भी कोई व्यक्ति महामारी संक्रमित है। तो उसका मोटिवेशन कीजिए ताकि वह जल्द से जल्द ठीक होकर आपके साथ दोबारा से खेल सके।

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