किसान की फसलों के साथ साथ उनकी नस्लों का भविष्य तय करेगा कृषि आंदोलन, सरलार जल्द से जल्द वापस ले काले कानून: अभय सिंह चौटाला

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पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा दिल्ली बार्डर पर तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों से जनहित में आंदोलन को खत्म करने की अपील करने पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को बजाय किसानों से अपील करने के उन्हें देश के प्रधानमंत्री से किसानहित एवं जनहित में तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने की अपील करनी चाहिए।

महामारी भयंकर रूप धारण कर रही है और लगभग पूरे प्रदेश को अपनी चपेट में ले चुकी है। आंंदोलन कर रहे किसानों को भी इस महामारी की चपेट में आने की आंशका से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन यह तीनों काले कृषि कानून इस महामारी से भी अधिक भयंकर हैं। यह आंदोलन किसानों की फसलों के साथ-साथ उनकी नस्लों का भी भविष्य तय करेगा इसलिए किसान आर-पार की लड़ाई लडऩे को तैयार है।

किसान की फसलों के साथ साथ उनकी नस्लों का भविष्य तय करेगा कृषि आंदोलन, सरलार जल्द से जल्द वापस ले काले कानून: अभय सिंह चौटाला


इनेलो नेता ने कहा कि यहां आरोप लगाने की बात नहीं है सब कुछ जनता के सामने है कि भाजपा-गठबंधन प्रदेश की सरकार चलाने में हर मोर्चे पर बुरी तरह से विफल रहा है फिर चाहे प्रदेश मेंं स्वास्थ्य सुविधाओं का मामला हो, चाहे प्रदेश में जम कर हो रही कालाबाजारी का मामला हो, चाहे चौपट कानून व्यवस्था हो और चाहे मंडियों में किसानों की गेहूं खरीद का मसला हो।

अब तक 350 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं लेकिन अभी तक न तो प्रधानमंत्री और न ही मुख्यमंत्री ने सहानुभूति का एक शब्द उनके बारे में कहा है।

किसान की फसलों के साथ साथ उनकी नस्लों का भविष्य तय करेगा कृषि आंदोलन, सरलार जल्द से जल्द वापस ले काले कानून: अभय सिंह चौटाला

केंद्र सरकार ने महामारी की आड़ में ही तीनों काले कृषि कानून बनाए थे जो किसानों का डैथ वारंट हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास अभी भी मौका है कि वो प्रधानमंत्री से जाकर मिलें और केंद्र द्वारा बनाए गए तीनों काले कृषि कानूनों को तुरंत खत्म करने की किसानों की मांगों को पूरा करें।

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अभय सिंह चौटाला ने कहा कि समय आ गया है जब देश के प्रधानमंत्री को भी महामारी के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इतना हठ नहीं दिखाना चाहिए और अपने अहं का त्याग करके किसानों की मांग को तुरंत मान लेना चाहिए ताकि बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को इस संक्रमण से बचाया जा सके और उनकी सुरक्षित घर वापसी करवाई जा सके।