संकट के समय मदद करने वालों और मजबूरी का फायदा उठाने वालों की कोई कमी है नहीं। संकट का समय हो तो कुछ लोगों के लिए यह स्वर्णिम पल होते हैं। इस गहन संकट में कुछ लोगों ने रातोंरात अमीर बनने के लिए हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और दिल्ली में हीट्रो कंपनी का लेबल लगाकर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप ही उतार दी और तीन माह में ही 50 लाख रुपये से अधिक का कारोबार कर डाला।
आपदा को अवसर में बदलने वालों की संख्या इस समय लगातार बढ़ती जा रही है। एम्बुलेंस वाले हों या फिर अन्य सभी अपनी जेबें भरने में लगे हैं। पुलिस का अनुमान है कि हजारों मरीजों को नकली रेमडेसिविर की डोज़ दी गई है। यह छानबीन की जा रही है कि ये इंजेक्शन कहां बेचे गए।
नकली दवाओं का कारोबार इस समय खूब फल फूल रहा है। पैसा कमाने का चस्का लोगों को संकट में लग गया है। नकली इंजेक्शन बेचने वाले एक आरोपित गौरव को अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। इन आरोपितों से बरामद किए गए 24 रेमडेसिविर इंजेक्शन वायल नकली पाए गए। हीट्रो कंपनी ने पुलिस को स्पष्ट कर दिया है कि जो इंजेक्शन बरामद किए गए हैं, वे हमारी कंपनी के नहीं हैं।
महामारी के इस संकट के दौरान में जीवन रक्षक माने जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी धड़ल्ले से हो रही है। लोग नकली इंजेक्शन बनाने में लगे हुए हैं। आपको बता दें, 21 अप्रैल को नाइट कर्फ्यू के दौरान अंबाला पुलिस ने दो गाडि़यों में सवार चार लोगों को गिरफ्तार किया था। इनसे रेमडेसिविर के 24 इंजेक्शन बरामद हुए थे। पुलिस की प्रारंभिक जांच में पाया कि ये लोग इंजेक्शन की सप्लाई करते हैं, जबकि बनाने वाले आरोपित कोई और हैं।
आपदा के इस समय में कालाबाज़ारी अपने चरम पर है। ब्लैक पर समान मिल रहा है वाइट का समान ख़त्म हो रहा है। इसी तरीके से लोग कालाबाज़ारी करने में लगे हुए हैं।