जिले में ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे महामारी संक्रमितों को राहत देने की मंशा से पीएम केयर फंड से लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपए की लागत से बीके अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया। लेकिन यह ऑक्सीजन प्लांट उम्मीदों पर खरा उतरता नजर नहीं आ रहा है।
मरीजों की संख्या के अनुसार अस्पताल को 130 जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता है। लेकिन प्लांट केवल 40 सिलेंडर के बराबर ऑक्सीजन प्रदान कर पा रहा है। ऐसे में मरीजों की संख्या घटने के बाद भी जिले में ऑक्सीजन की किल्लत बनी हुई है।
दरअसल, ज़िले संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ गई। ऑक्सीजन की मांग को देखते हुए बीके अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया।
कयास लगाए जा रहे थे कि इससे जिले में ऑक्सीजन की किल्लत दूर होगी। लेकिन यह ऑक्सीजन प्लांट सिर्फ नागरिक अस्पताल की आपूर्ति को ही पूरा नहीं कर पा रहा है। मांग और आपूर्ति में प्रतिदिन लगभग 3 गुना से ज्यादा अंतर देखने को मिल रहा है।
आपको बता दे कि नागरिक अस्पताल में इस समय 100 कोरोना संक्रमितों के इलाज की व्यवस्था है। अस्पताल में अधिकतर मरीज इमरजेंसी में ही आ रहे हैं। इनमें अधिकतर को सांस लेने में परेशानी आ रही है। इस कारण ऑक्सीजन सपोर्ट पर ज्यादा मरीज भर्ती करने पड़ रहे हैं।
फिलहाल बीके अस्पताल में प्रतिदिन 130 जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता है। लेकिन हाल फिलहाल लगे प्लांट से मात्र केवल 40 सिलेंडर की आपूर्ति हो पा रही है। ऐसे में ऑनलाइन सिस्टम विकसित होने के बावजूद ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए अस्पताल प्रबंधकों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
सोचने वाली बात यह है कि मरीजों की संख्या कम होने के पश्चात भी ऑक्सीजन की किल्लत जिले में बनी हुई है ऐसे में यदि एक बार फिर मामले बढ़ते हैं तो किस प्रकार से स्वास्थ्य विभाग बीमारी से निपटेगा।
जानकारी के मुताबिक अस्पताल प्रबंधक को नए प्लांट से मांग अनुसार आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। एनएचपीसी कंपनी ने एक हजार लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट बनाने का आश्वासन दिया है। कयास लगाए जा सकते है कि कोरोना की तीसरी लहर से पहले सिविल अस्पताल प्रबंधक संक्रमितों के उपचार के साथ तैयार हो सकेगा।