आंदोलन में किसानों के लिए रोटी सेकनें वाली मशीन अब संक्रमितों को भोजन उपलब्ध कराने के काम आई

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कृषि कानूनों के खिलाफ सैकड़ों की तादाद में जब दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की भीड़ उमड़ गई थी और उनके खाने-पीने का इंतजाम करने के लिए मशक्कत हो रही थी।

तो ऐसे में युवा कांग्रेस की पहल से रोटी बनाने वाली मशीन का इस्तेमाल हुआ था जिसे फिलहाल आप संक्रमित मरीजों को भोजन पहुंचाने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।

आंदोलन में किसानों के लिए रोटी सेकनें वाली मशीन अब संक्रमितों को भोजन उपलब्ध कराने के काम आई

वही फिलहाल अलवर शहर के स्कीम एक में बाल भारती स्कूल के सामने मकान में रसोई चल रही है। वहां रोटी बनाने की बड़ी मशीन लगी है। सब्जी के लिए बड़ा चूल्हा है।

जैसे-जैसे रोटी बनती जाती है, सब्जी के साथ खाना पैक होता जाता है। सुबह नौ बजे से काम शुरू हो जाता है। शाम तक रसोई चलती है।

आंदोलन में किसानों के लिए रोटी सेकनें वाली मशीन अब संक्रमितों को भोजन उपलब्ध कराने के काम आई

इससे पहले इसी मशीन से शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के लिए रोटियां बनाई जाती थीं। जानकारी के मुताबिक युवा कांग्रेस की करीब 15 से 20 सदस्यों की टीम खुद खाना बनाती है। फिर खाने को पैक करके घर-घर पहुंचाते हैं। चार दिन पहले शुरू की इस रसोई से अब 600 लोगों का खाना बनने लगा है।

आंदोलन में किसानों के लिए रोटी सेकनें वाली मशीन अब संक्रमितों को भोजन उपलब्ध कराने के काम आई

टीम के माध्यम से डोर-टू-डोर खाना पहुंचाने की व्यवस्था कराई गई है। इनके मोबाइल नम्बर पर कोरोना मरीज व उनके परिजन फोन करते हैं। फिर उनका नाम रजिस्टर में दर्ज कर लेते हैं। इसके बाद इनकी टीम खाना पहुंचाना शुरू कर देती है।

आंदोलन में किसानों के लिए रोटी सेकनें वाली मशीन अब संक्रमितों को भोजन उपलब्ध कराने के काम आई

इस पूरे प्रकरण की जानकारी देते हुए युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष दीनबंधु शर्मा का कहना है कि पिछले साल मार्च में अलवर में कोराेना ने दस्तक दी थी। तब से हमारी टीम लगातार काम कर रही है। उस समय घर-घर के सैनिटाइजेशन का काम किया गया। पहली लहर में भी खाना उपलब्ध कराया गया था। अब दूसरी लहर में भी जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाया जा रहा है।