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महामारी से ग्रस्त मरीजों की संख्या में आई कमी, तो अस्पतालों में खाली होने लगे बेड

महामारी से दृष्ट मरीजों की संख्या में दिन-प्रतिदिन कमी देखी जा रही है। अगर हम सोमवार के आंकड़ों की बात करें तो सोमवार को जिले में 507 मरीज महामारी से ग्रस्त पाए गए थे। लेकिन अगर हम ठीक होने वाले मरीजों की संख्या की बात करें तो यह संख्या 1700 से ऊपर थी।

यानी पॉजिटिव मरीज 3 गुना ज्यादा मरीज ठीक होकर अपने घर जा रहे हैं। वहीं अगर हम मंगलवार के आंकड़ों की बात करें तो मंगलवार को 469 पॉजिटिव मरीज पाए गए वहीं अगर हम ठीक हुए मरीजों की संख्या के बात करें तो यह 2027 मरीज़ ठीक होकर अपने घर को वापिस गए। यानी पॉजिटिव मरीज से 5 गुना मरीज ठीक होकर अपने घर को वापस जा रहे हैं।

महामारी से ग्रस्त मरीजों की संख्या में आई कमी, तो अस्पतालों में खाली होने लगे बेड

इसी वजह से अस्पताल में जहां पहले मरीजों को बेड व ऑक्सीजन के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। लेकिन अब महामारी की संख्या में कमी देखते हुए अस्पताल में आसानी से उनको बेड व ऑक्सीजन मिल रहे हैं।

जिले का एकमात्र सरकारी अस्पताल में भी इस समय काफी संख्या में बेड खाली है और उन पर ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध है। अगर अभी भी किसी मरीज को ऑक्सीजन कम बेड की जरूरत है। तो वह बी के अस्पताल में जाकर अपना उपचार करवा सकता है।

बीके अस्पताल के इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर ने बताया कि जैसे-जैसे महामारी का प्रकोप कम होता जा रहा है। वैसे-वैसे उनके यहां पर मरीजों की संख्या भी कम होती नजर आ रही है। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी में जो मरीज भर्ती है। वह सारे महामारी संक्रमित नहीं है।

उनमें से कुछ मरीज अन्य बीमारी से ग्रस्त है। इसीलिए उनको इस इमरजेंसी में रखा गया है। उन्होंने बताया कि पहले जहां मरीजों को ऑक्सीजन बेड के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। वहीं अब महामारी से ग्रस्त गंभीर मरीजों को आसानी से ऑक्सीजन वाला बेड भी मिल सकता है।

क्योंकि यहां पर मंगलवार को करीब 7 से 8 बेड खाली थे। जिन पर ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध थी। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा जो लॉकडाउन लगाया गया है। उसी वजह से मरीजों की संख्या में कमी देखी गई है।

इसीलिए वह लोगों से आग्रह करते हैं कि बहुत ही जरूरी काम हो तभी घर से बाहर निकले। अन्यथा में घर पर रहकर इस लॉकडाउन के नियमों की पालना करें। ताकि जिले से इस महामारी को पूर्ण रूप से खत्म किया जा सके।

Avinash Kumar Singh

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