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इस गांव को महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए गांववासी कर रहे हैं यह काम

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महामारी जहां शहर में अपना पैर पसार रही थी। महामारी जिले के कई गांव में भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। जिसके चलते प्रशासन के द्वारा जिले के करीब 50 गांव के सरकारी स्कूल में आइसोलेशन वार्ड बनाने के आदेश जारी किए गए हैं।

ताकि उक्त गांव में अगर कोई व्यक्ति महामारी से ग्रस्त है। तो उसको आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया जा सके और उसका उपचार किया जा सके। लेकिन जिले का एक ऐसा गांव भी मौजूद है।

इस गांव को महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए गांववासी कर रहे हैं यह काम

जिसमें आइसोलेशन वार्ड के साथ-साथ एक ऐसा कार्य कर रहा है जिससे महामारी से गांव के लोगों को बचा रहे है। साथ ही क्राइम होने से भी बचा रहा है। हम बात कर रहे हैं बल्लभगढ़ में स्थित गांव सुनपेड़ की। जहां पर गांव वासियों के द्वारा महामारी से गांव को बचाने के लिए या फिर गांववासियों के द्वारा महामारी को बचाने के लिए रात के समय पहरेदारी की जाती है।

इस गांव को महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए गांववासी कर रहे हैं यह काम

गांव में यह पहरेदारी कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं करता है। बल्कि गांववासी खुद करते हैं। गांव के रहने वाले दया चंद ने बताया कि उनको प्रशासन के द्वारा आदेश आया है कि वह अपने गांव में पहरेदारी करें। इसी के चलते उन्होंने गांव के करीब 90 लोगों की सूची को तैयार की है।

इस गांव को महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए गांववासी कर रहे हैं यह काम

वह रात को गांव के करीब 9 से 10 लोगों के साथ 10:00 बजे से लेकर सुबह 4:00 बजे तक पहरेदारी करते हैं। उन्होंने बताया कि पहरेदारी करने का मुख्य कारण महामारी को रोकना है। पहरेदारी के दौरान अगर कोई बाहर का व्यक्ति गांव में आता तो नजर आता है तो उससे पूछा जाता है कि वह कहां से आ रहा है और क्यों आ रहा है।

गांव के बाहर के लोगों को इस गांव में एंट्री नहीं है। इसके अलावा महामारी के दौरान कई बार गांव में चोरी चकारी होती है। इसीलिए इस पहरेदारी के जरिए जहां महामारी को रोका जा रहा है। वहीं चोरी चकारी व छोटी घटनाओं को भी रोका जा रहा है।

इस गांव को महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए गांववासी कर रहे हैं यह काम

इसलिए उनके द्वारा हर रोज रात 10:00 बजे से लेकर सुबह 4:00 बजे तक गांववासियों के लोगों के साथ पहरेदारी की जाती है। उन्होंने बताया कि हर रोज 10 लोगों को फोन करके सूचित करते हैं कि आज उनकी बारी है और उनको आज पहरा देना है।

वह पूरे गांव में पहरा देते हैं और इस दौरान पुलिस की पीसीआर भी उनका सहयोग करती है और उनसे आकर पूछती है कि किसी को परेशानी तो नहीं है। उन्होंने बताया कि जब तक महामारी का दौर पूर्ण रूप से खत्म नहीं हो जाता तब तक गांव में पहरा जारी रहेगा।

इस गांव को महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए गांववासी कर रहे हैं यह काम

इसके अलावा दिन के समय में भी कोई भी बाहर का व्यक्ति गांव में आकर किसी प्रकार का कोई भी सामान नहीं देख सकता है। अगर किसी को सब्जी बेचनी है तो वह गांववासी ही बेच रहे हैं। बाहर के किसी भी व्यक्ति को गांव में एंट्री नहीं है। चाहे वह कबाड़ीवाला हो या सब्जीवाला हो। सिर्फ गांव वाले ही इस काम को कर सकते हैं।

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