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यमुना किनारे बसे झोलाछाप डॉक्टरों के नदारद होने से इलाज की कमी खलने लगी, तो वहीं ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी

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हम जहां शहर से होता हुआ कब संक्रमण का कहर ग्रामीण क्षेत्रों में अपना प्रकोप जारी करने में जुटा हुआ है। ऐसे में फरीदाबाद के 10 फीसदी ऐसे गांव है जिनमें संक्रमण के मामले उजागर हो रहें हैं। वही अब समय समय पर ग्रामीणों का इलाज करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों के न मिलने से स्वास्थ्य सेवाओं की कमी खल रही हैं।

आलम यह है कि अब ग्रामीण कोरोना जांच के लिए सामुदायिक-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रोें पर पहुंचने लगे हैं। इन दिनों औसतन 300 जांच इन इलाकों में हो रही है।

यमुना किनारे बसे झोलाछाप डॉक्टरों के नदारद होने से इलाज की कमी खलने लगी, तो वहीं ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी

वहीं अब गांवों में निजी रूप से प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टर शहरी परिवेश से निकलकर लोगों को इलाज देने पहुंचते हैं। कस्बों में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे एमबीबीएस चिकित्सक ग्रामीणों को कोरोना के चलते कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट के बाद ही सोशल डिस्टेसिंग में रह कर उपचार कर रहे हैं। वहीं वे बुखार के मरीजों को भी सीधा राजकीय अस्पताल जाने की सलाह देते दिखाई दे रहे हैं।

यमुना किनारे बसे झोलाछाप डॉक्टरों के नदारद होने से इलाज की कमी खलने लगी, तो वहीं ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी

इतना ही नहीं लोगों में जागरूकता का परिचय भी देखने को मिल रहा हैं। वहीं सरकारी डॉक्टरों का कहना है कि झोलाछाप गायब हुए तो लोगों ने सही तरीके से जांच और इलाज का तरीका अपनाना शुरू कर दिया है। जानकारी के मुताहिक फिलहाल वहीं इन दिनों गांवों में बीएएमएस चिकित्सकों ने ग्रामीणों से दूरी बना ली है, जबकि वहां स्थित एमबीबीएस डॉक्टर ग्रामीणों को पहले कोरोना जांच की सलाह दे रहें हैं।

यमुना किनारे बसे झोलाछाप डॉक्टरों के नदारद होने से इलाज की कमी खलने लगी, तो वहीं ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी

वहीं जहां पहले मास्क से गुरेज करने वाले लोग इन दिनों सैनिटाइजर के साथ नजर आ रहे हैं। जिले को कौराली स्थित सामुदायिक केंद्र पर हर दिन सौ से अधिक लोग जांच व टीकाकरण के लिए पहुुंच रहे हैं। तिगांव सीएचसी में रोजाना डेढ़ सौ से दो सौ ग्रामीण अपनी जांच करा रहे हैं। यहां पहुंचने वाले तमाम लोगों के लिए जांच आवश्यक रखी गई है चाहे वह किसी कार्य के लिए अस्पताल में पहुंचा हो।

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