इस गांव के लोगों के द्वारा बनाया गया आइसोलेशन वार्ड, लेकिन गांव में नहीं है कोई भी पॉजिटिव मरीज

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महामारी जहां शहर में अपने पैर पसार रही है। वहीं गांव में भी इसका प्रकोप दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसी को लेकर प्रशासन के द्वारा जिले के 50 गांव में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। सभी आइसोलेशन वार्ड गांव के सरकारी स्कूल में बनाने की प्रक्रिया थी।

लेकिन जिले का एक ऐसा गांव है जिसमें आइसोलेशन वार्ड तो बना दिया गया है। लेकिन उस गांव में अभी तक कोई भी महामारी से संक्रमित मरीज पाया नहीं गया है। हम बात कर रहे हैं बल्लभगढ़ में स्थित गांव सागरपुर।

इस गांव के लोगों के द्वारा बनाया गया आइसोलेशन वार्ड, लेकिन गांव में नहीं है कोई भी पॉजिटिव मरीज

सागरपुर में अभी तक कोई भी महामारी संक्रमित मरीज नहीं पाया गया है। गांव वासियों ने बताया कि महामारी के चलते उन्होंने खुद ही अपने गांव की सुरक्षा का जिम्मा उठा लिया। वह बिना वजह घर से बाहर नहीं निकलते हैं।

इस गांव के लोगों के द्वारा बनाया गया आइसोलेशन वार्ड, लेकिन गांव में नहीं है कोई भी पॉजिटिव मरीज

अगर कोई घर से बाहर निकलता भी है तो वह मास्क और 2 गज की दूरी का प्रयोग करता है। ताकि कोई भी व्यक्ति इस महामारी की चपेट में ना आ सके। गांव में रहने वाले राकेश कुमार ने बताया कि प्रशासन के द्वारा उनको आदेश आए थे कि गांव के सरकारी स्कूल में 5 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाना है।

इस गांव के लोगों के द्वारा बनाया गया आइसोलेशन वार्ड, लेकिन गांव में नहीं है कोई भी पॉजिटिव मरीज

लेकिन उनके द्वारा यह वार्ड सागर पुर के मंदिर में स्थित चौधरी देवीलाल वृद्धाश्रम में बनाया गया है। उन्होंने बताया कि इस आश्रम में 5 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। जिसकी देखरेख गांव के 5 से 6 लोगों ने उठाई हुई है।

इस गांव के लोगों के द्वारा बनाया गया आइसोलेशन वार्ड, लेकिन गांव में नहीं है कोई भी पॉजिटिव मरीज

उन्होंने बताया है कि अभी तक इस वार्ड में कोई भी मरीज भर्ती नहीं हुआ है। क्योंकि अभी तक इस गांव में भी कोई पॉजिटिव मरीज नहीं पाया गया है। इसीलिए यह गांव अभी महामारी की चपेट में नहीं आया है। उन्होंने बताया कि इस को लेकर उनके गांव वासियों को द्वारा काफी सावधानी बरती जाती है।

इस गांव के लोगों के द्वारा बनाया गया आइसोलेशन वार्ड, लेकिन गांव में नहीं है कोई भी पॉजिटिव मरीज

अगर इस आइसोलेशन वार्ड में कोई मरीज भर्ती होता है। तो उसकी पूरी देखरेख की जिम्मेवारी गांववासियों ने अपने ऊपर ले रखी है। इसके अलावा उनके वहां स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है। जिसमें एएनएम और आशा वर्कर कार्य करती है। वह भी समय-समय पर मरीज देखरेख करने के लिए रहेगी।