महामारी की दूसरी लहर ने जमकर हमला बोला है। प्रदेश हो या देश का कोई राज्य हर जगह स्वास्थ्य ढांचा महामारी के आगे चरमरागया। प्रदेश में आक्सीजन सप्लाई की कमान सरकार द्वारा अपने हाथों में लेने के बाद ‘प्राण वायु’ को लेकर मची आपाधापी कुछ कम हुई है। प्रदेश सरकार के प्रयासों से हरियाणा का आक्सीजन कोटा लगातार धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
कई लोग अभी भी प्राणवायु की कालाबाज़ारी करने में लगे हुए हैं। उन्हें आपदा में कमाई का अवसर दिखाई दे रहा है। राज्य को फिलहाल 282 मीट्रिक टन आक्सीजन उपलब्ध है। आक्सीजन में हालांकि बढ़िया ढंग से काम चलने का दावा किया जा रहा है और सरकार ने करीब 20 से 25 मीट्रिक टन आक्सीजन आपातकालीन स्थिति के लिए भी रिजर्व में रखी हुई है, सरकार को कभी-कभी लगता है कि अचानक 400 मीट्रिक टन आक्सीजन की डिमांड आ रही है।
प्रदेश में इस समय दूसरी अपने अंतिम पड़ाव पर नज़र आ रही है। ऑक्सीजन के मामले में मरीजों की संख्या में लगातार आ रही गिरावट के बावजूद ऐसा हो रहा है। प्रदेश सरकार जब इसकी तह में गई तो अलग ही बात सामने आई। लगातार बढ़ रहे आक्सीजन कोटे के बावजूद बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्हें आक्सीजन की जरूरत नहीं है, मगर फिर भी वह आक्सीजन हासिल कर रहे हैं अथवा हासिल करने के प्रयास में हैं।
बहुत सारे लोग आपात स्थिति के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर घरों में भरवा कर रख रहे हैं। इससे राज्य में यह संदेश जा रहा है कि लोगों की आक्सीजन की मांग बामुश्किल पूरी हो पा रही है। किसी ने घर में सिलेंडर भरा होने के बावजूद भविष्य के डर से एडवांस बुकिंग कर दी तो किसी ने अपने नाम पर रिश्तेदार के लिए सिलेंडर बुक कर डाला।
संक्रमित और अधिक गंभीर मरीज़ों के लिए भी सरकार तत्परता से लगी हुई है। सरकार ने होम आइसोलेट मरीजों को उनके घर पर ही आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। इसके लिए पोर्टल पर पंजीकरण और आवेदन करना होता है।