राज्य में बिना अनुमति के पुलिस थानों व चौकियों में बने धार्मिक स्थलों को लेकर पुलिस महानिदेशक मनोज यादव काफी शक है। पुलिस महानिदेशक ने राज्य में बिना अनुमति के पुलिस थानों व चौकियों में धार्मिक स्थलों का डाटा इकट्ठा करने के आदेश दिए हैं जिसके बाद अब डाटा इकट्ठा हो गया है।
दरअसल, प्रदेश के सभी एसपी से धार्मिक स्थलों को लेकर डाटा एकत्रित किया था। इस दौरान पता चला कि अंबाला रेंज मे 24, फरीदाबाद में करीब 15 और प्रदेश में इस तरह से 200 से अधिक धार्मिक स्थल थानों व चौकियों में बने हुए हैं।
इनकी मरम्मत तो करवाई जा रही थी, लेकिन यह धार्मिक स्थल किसने और कब बनवाए, अधिकांश का पता नहीं चल पाया। इसको लेकर विस्तार से सभी पुलिस अधिकारियों ने अपना डाटा पुलिस अधिकारियों को भेज दिया था।
यह स्पष्ट हो गया था कि जो भी धार्मिक स्थल बना हुआ है, उसकी कोई अनुमति नहीं है। ऐसे में इन स्थलों को नियमित करना या फिर आगे निर्णय लेना पुलिस मुख्यालय के अधीन नहीं है। ऐसे में आइपीएस अफसरों की खींचतान से राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
पुलिस महानिदेशक ने सभी एसपी को धार्मिक स्थलों को लेकर जब जवाब मांगा था, तो इसको लेकर प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज नाराज हो गए थे। विज ने डीजीपी से ही जवाब तलब कर लिया था कि नीतिगत फैसले सरकार की बिना मंजूरी के कैसे लिए जा सकते हैं। धार्मिक स्थलों का मामला भले ही अब ठंडा हो गया हो, लेकिन एक डाटा अधिकारियों की खींचतान में तैयार हो गया, जो कभी भी सिरदर्द बन सकता है।
डीजीपी और आइजी के बीच में चल रहा विवाद जब थमा नहीं, तो वाई पूर्ण कुमार ने पुलिस महानिदेशक के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था।
प्रदेश के गृह सचिव को कई शिकायतें भेज दी गईं, लेकिन इसका निपटारा नहीं किया गया। बाद में आइजी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचे, जहां अब तीन माह में शिकायतों का निपटारा करने के आदेश दिए हैं।
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