महामारी के बीच दाल- आटे के बढ़ते दामों ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। मुनाफाखोर और कालाबाजारी करने वाले लोगों ने आपदा को अवसर के रूप में ले रहे हैं। पिछले एक महीने के भीतर तेल, चीनी, दाल और अन्य खाद्य वस्तुओं के दाम आसमान छूने लगे हैं। फुटकर दुकानदार माल की कम आवक और ऊपर से ही रेट महंगे होने की बात कह रहे हैं, जबकि जरूरी चीजों की आवक पर कहीं कोई रोक नहीं है।
संक्रमण काल में घर का बजट बनाने में महिलाओं को पसीने छूटने लगे हैं। हर जरूरी चीज रोज महंगी हो रही है। चीनी, तेल, दाल, रिफाइंड सभी चीजों के दाम बढ़़ गए हैं। सरसों का तेल एक महीने पहले 130 तो आज 160 रुपए लीटर बिक रहा है।
रिफाइंड तेल पिछले महीने 120 तो अब 160 रुपए लीटर बिक रहा है। खाद्य वस्तुओं के साथ ही संक्रमण से बचाव के लिए फल और सब्जियां भी काफी महंगी हैं। घर का खर्चा चलाने के लिए अब कटौती करें तो कहां? समझ से परे है। अब दाल और तेल के दाम ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया।
हाउसवाइफ प्रियंका ने बताया कि रसोई गैस के दाम पहले ही बढ़़ चुके हैं। अब दाल और तेल के दाम ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। काम-धंधे वैसे ही कम चल रहे हैं। रंजीता का कहना है कि घरों के खर्चे पहले से ही लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में रसोई के सामान भी महंगे होते जा रहे हैं। सरसों के तेल के दाम सबसे अधिक बढ़े हैं। दाल, चीनी और चाय भी महंगी हो गई है।
गौरतलब है कि मुनाफाखोरी तथा कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए प्रशासन की ओर से रेटिंग लिस्ट तय की गई है। इस रेटिंग लिस्ट का प्रत्येक दुकान पर लगाना अनिवार्य किया गया है।
वहीं इस लिस्ट के अनुसार ही लोगों को सामान बेचा जाएगा परंतु इन सब प्रयासों के बावजूद भी कालाबाजारी पर रोक नहीं लग पा रही है जिससे आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।