वायरस की चपेट में आकर ना जाने कितने सैकड़ों लोगों ने बीच सफर में ही अपनों का साथ छोड़ दिया। इतना ही नहीं मरने के बाद भी परिजन अपनों की शक्ल ना देख पाने के लिए भी जिंदगी भर अपने आपको कोसते रहेंगे।
एक ऐसा मंजर जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया और अपनों को अपनों से इतना दूर कर दिया कि आखिरी समय पर भी कोई देख नहीं पाया। अब ऐसा ही मंजर श्मशान घाट में देखने को मिल रहा है जहां करीब 250 संक्रमितों की अस्थियां रखी हुई हैं, जिन्हें अपनों के आने के इंतजार में एकटक रास्ता देखन रही है।
वहीं, श्मशान घाट प्रबंधन भी इस आस में इन्हें संभाले हुए है कि शायद इनका कोई अपना इन अस्थियों को कभी भी लेने आ सकता है।
जिस तरह दिन प्रतिमाह अस्पतालों में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है और श्मशान घाट में जलने वाले मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है
उसी तरह श्मशान घाट में अस्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसे देखते हुए श्मशान घाट प्रबंधन ने लकड़ी के नए लॉकर भी बनवाए हैं। अब उन लॉकरों में अस्थियों को सुरक्षित रखा जाएगा। घाट में 350 तक अस्थियां एक साथ रखने की क्षमता है। हालांकि, अस्थियों की संख्या ज्यादा होने के बाद उन्हें बाहर भी रखा गया है।
मदनपुरी स्थित श्मशान घाट में 250 से ज्यादा अस्थियां रखी हुई हैं। इनमें से ज्यादातर अस्थियां संक्रमण से मरने वालों की हैं। कई कारणों से मृतकों के परिजन अंतिम संस्कार के बाद फूल चुनने और उसके बाद अस्थियां लेने के लिए श्मशान घाट में नहीं आ रहे हैं।
ऐसे में श्मशान घाट में लगातार अस्थियों की संख्या बढ़ रही है। इसके पीछे कई कारण भी हैं। संक्रमित होने से जिनकी मौत हुई है, परिवार के सदस्यों को भी डर है कि वह भी संक्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा लॉकडाउन होने को भी कारण माना जा रहा है।
श्मशान घाट में कार्यरत पंडित ने बताया कि अंतिम संस्कार करने के बाद लोग अपनों के फुल चुनने के लिए आते हैं। उसके बाद अस्थियों को श्मशान घाट के लॉकर में रखकर जाते हैं। लोग नौवें दिन की रात या फिर दसवें दिन तड़के अस्थियों को लेकर हरिद्वार जाते हैं। वहां पर पूरी क्रिया करने के बाद अस्थियों का विसर्जन किया जाता है।
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