नियति का खेल: अपने ही परिजनों की अस्थियां लेने नहीं पहुंच रहे हैं लोग, श्मशान घाट में एकत्र हो रही है अस्थि

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महामारी के इस दौर में बीमारी से दम तोड़ रहे लोगों के परिजन अपनों की अस्थियां लेने नहीं पहुंच रहे हैं ऐसे में श्मशान घाट में अस्थियां एकत्र हो रही है। ‌ श्मशान घाट संचालक अस्थियों को स्वयं ही गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं।

दरअसल, जिले में महामारी से दम तोड़ रहे मरीजों के आंकड़ों में काफी अंतर देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कुछ और दावा करते हैं वहीं नगर निगम के आंकड़े कुछ और ही कहते हैं ऐसे में श्मशान घाट में रोजाना करीब 50 अंत्येष्टि हो रही है वही दम तोड़ रहे लोगों के परिजन अस्थियां लेने श्मशान घाट नहीं पहुंच रहे हैं।

नियति का खेल: अपने ही परिजनों की अस्थियां लेने नहीं पहुंच रहे हैं लोग, श्मशान घाट में एकत्र हो रही है अस्थि

इस स्थिति अस्थियों को बहते पानी में प्रवाहित करने की परंपरा भी टूट रही है। बल्लभगढ़ श्मशान घाट में इस समय 80 से ज्यादा मृतकों की अस्थियां मौजूद है, जिनको अभी तक अपनों का इंतजार है। वहीं कुछ अस्थियों को समिति द्वारा यमुना में विसर्जित किया गया है
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बल्लभगढ़-तिगांव रोड श्मशान घाट के सदस्य दिनेश देशवाल ने बताया कि इस समय 80 से ज्यादा मृतकों की अस्थियां मौजूद है। जिनको अभी तक कोई ले जाने वाले नहीं आए हैं। इनमें से किसी की भी अस्थियों को परंपरा के अनुसार जलप्रवाह नहीं हुआ है। वहीं कुछ को शुक्रवार को यमुना में प्रवाह कर दिया है।


बल्लभगढ़ शमशान समिति के प्रधान लीलू पहलवान ने बताया कि कारण समझ नहीं आ रहा है कि लोग अस्थियां लेने क्यों नहीं आ रहे है। इसके लिए समिति परिजनों से फोन पर संपर्क कर रही है।

नियति का खेल: अपने ही परिजनों की अस्थियां लेने नहीं पहुंच रहे हैं लोग, श्मशान घाट में एकत्र हो रही है अस्थि

जो परिजन आ रहे हैं, उनको अस्थियां ले जाने के लिए बोला गया है। अगर कोई नहीं आता है, तो समिति के द्वारा अस्थियों को यमुना व गंगा भिजवाने का प्रबंध किया जाएगा।