नगर निगम में हुए गड़बड़झाले को लेकर अधिकारियों के द्वारा सरकार को रिपोर्ट पेश कर दी गई है वहीं अब जांच कमेटी के सदस्य तथा उप महापौर ने इस पर अपनी असहमति जताई।
निगमायुक्त गरिमा मित्तल तथा अतिरिक्त निगम आयुक्त इंद्रजीत कुलड़िया को लिखे पत्र में उपमहापौर मनमोहन गर्ग ने यह आशंका जताई है कि जो अधिकारी इस भ्रष्टाचार में संलिप्त है उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है वही उपमहापौर मनमोहन गर्ग ने निगमायुक्त गरिमा मित्तल से इस मामले की रिपोर्ट मांगी है तथा रिपोर्ट तैयार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्यवाही की मांग की है वहीं पार्षद दीपक चौधरी ने भी इस फैसले पर अपनी असहमति जताई है तथा कहा है कि शक की सुई जिन अधिकारियों पर घूम रही है उन अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि कमेटी के सदस्यों को बताए बिना ही सरकार को रिपोर्ट भेज दी गई है।
दरअसल, निगम पार्षद दीपक चौधरी, सुरेंद्र अग्रवाल, महेंद्र सिंह भड़ाना, दीपक यादव ने वर्ष 2017 से लेकर 2019 तक किए गए विकास कार्यों के भुगतान का ब्यौरा मांगा था। जब ब्यौरा मिला तो पता चला कि कई क्षेत्रों में बिना काम के ही ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया।
शुरुआत में यह घोटाला 25 से 30 करोड़ का लगा परंतु जैसे-जैसे परत दर परत खुलती गई यह आंकड़ा 180 करोड़ तक जा पहुंचा। इस बार पार्षदों ने गंभीरता से जांच करने की मांग की। जब इस विषय की जांच शुरू हुई तो नगर निगम के लेखा शाखा में आग लग गई और कई अहम दस्तावेज जलकर खाक हो गए।
तब यह भी आरोप लगाए गए कि इस कांड में संलिप्त अधिकारियों को बचाने के लिए अग्नि कांड किया गया है। इस पूरे मामले की जांच के लिए तत्कालीन निगम कमिश्नर यश गर्ग ने एक कमेटी का गठन किया।
कमेटी में उप महापौर मनमोहन गर्ग को भी शामिल किया गया। भ्रष्टाचार के प्रकाश में आने के बाद नगर निगम सदन में भी जमकर हंगामा हुआ। इस मामले की जांच विजिलेंस टीम को सौंपी गई। विजिलेंस ने अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट आगे भेजने की बात कही।