महामारी की दूसरी लहर काफी घातक बनी हुई है। अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की जानें जा रही हैं। प्राणवायु के लोग लोग दर – दर भटक भी रहे हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में थ्री इडियट्स की वेंटिलेटर एक्सप्रेस महामारी से संक्रमित लोगों के लिए सांसों का इंतजाम करने में जुटी है। यह कहानी इंदौर के तीन इंजीनियर दोस्तों की है।
तीनों ही दोस्त तत्परता से काम कर रहे हैं। लोगों को काफी मदद मिल रही है। एक करीबी को वेंटिलेटर की दिक्कत होने के बाद इन दोस्तों ने थ्री इडियट्स के नाम से ग्रुप बनाया और वेंटिलेटर सुधारने और प्रधानमंत्री केयर फंड से प्राप्त वेंटिलेटर को इंस्टाल करने का बीड़ा उठाया।
कई जानें यह दोस्त बचा चुके हैं। इनकी कहानी सभी को प्रेरित कर रही है। इंजीनियर होने के कारण जुगाड़ से मशीनों को ठीक करने की कला यह जानते थे। इसी जुगाड़ से इन्होंने वेंटिलेटरों को इंस्टाल किया। बनारस और पटना के इंजीनियर भी अब ऐसा ही काम अपने- अपने शहरों में कर रहे हैं। दूसरी लहर में वेंटिलेटर की अत्यधिक आवश्यकता पड़ने लगी। हर जगह से वेंटिलेटर की कमी की खबरें आ रही थी।
अब स्थिति में भले ही थोड़ा सुधार देखा जा रहा हो लेकिन हालात काफी चिंताजनक बने हुए हैं। जहां वेंटिलेटर थे, वहां छोटी- छोटी दिक्कतों के चलते इनका उपयोग नहीं हो रहा था, क्योंकि कंपनियों के इंजीनियर अचानक आई मांग को पूरा नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में इंदौर के तीन युवाओं पंकज क्षीरसागर, शैलेंद्र सिंह और चिराग शाह ने वेंटिलेटर इंस्टाल करने की ठानी।
महामारी में एक दूसरे का सहयोग कर के मानवता को लोग दर्शा रहे हैं। इन दोस्तों के कारण कई लोगों की जान बची है। इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल से इसकी शुरुआत की। काम सफल रहा और इसके बाद अब तक इन्होंने निशुल्क सेवा देते हुए इंदौर, महू, धार, शाजापुर, राजगढ़, सागर, दमोह, कटनी, मंडला और शहडोल जिलों में सौ से अधिक वेंटिलेटर को इंस्टाल या सुधारने का काम किया है।