सीएम खट्टर द्वारा कूड़ा उठाने वाली ईरिक्शा को हरी झंडी दिखाना बेकार, कार्यालय में पड़ी-पड़ी बनी कबाड़

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आपने वो कहावत तो सुनी होगी कि हाथी के दांत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ और होते हैं। ऐसा ही कुछ नेताओं और मंत्रियों द्वारा भी किया जाता है। जहां उद्घाटन के नाम पर नारियल तो बहुत फोड़े जाते हैं

लेकिन उद्घाटन किए गए स्थलों पर एक भी ईट तक नहीं लगाई जाती है। यह बात तो आए दिन की हैं। फिलहाल हम बात कर रहे हैं घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए 10 अप्रैल को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा ई-रिक्शा को दिखाई गई हरी झंडी की।

सीएम खट्टर द्वारा कूड़ा उठाने वाली ईरिक्शा को हरी झंडी दिखाना बेकार, कार्यालय में पड़ी-पड़ी बनी कबाड़

10 अप्रैल को ई-रिक्शा को घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा हरी झंडी दिखाई गई थी। मगर आलम यह है कि डेढ़ महीने होने को है और यह ई रिक्शा वाहन इकोग्रीन के कार्यालय में पड़ी पड़ी धूल फांक रही है, लेकिन इसे उपयोग में नहीं लाया जा रहा।

सीएम खट्टर द्वारा कूड़ा उठाने वाली ईरिक्शा को हरी झंडी दिखाना बेकार, कार्यालय में पड़ी-पड़ी बनी कबाड़

गौरतलब, करीबन 25 ई रिक्शा वाहन इंडियन ऑयल कंपनी द्वारा घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए दी गई थी। मौजूदा हालात यह है कि अब यह खुद ही कबाड़ बन चुकी है और इसे इस्तेमाल ना किया जाना किसकी लापरवाही मानी जाए।

सीएम खट्टर द्वारा कूड़ा उठाने वाली ईरिक्शा को हरी झंडी दिखाना बेकार, कार्यालय में पड़ी-पड़ी बनी कबाड़

आपको बता दें कि इन दिनों शहर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत इको-ग्रीन कंपनी कूड़ा उठाने का कार्य कर रही है। जिसमें शहर से हर रोज 800 टन के करीब कूड़ा उठाकर बड़ी बड़ी गाड़ियों के सहारे बंधवाड़ी प्लांट ले-जाया जाता है।

सीएम खट्टर द्वारा कूड़ा उठाने वाली ईरिक्शा को हरी झंडी दिखाना बेकार, कार्यालय में पड़ी-पड़ी बनी कबाड़

40 वार्ड में कूड़ा उठाने के लिए लगाई गई ई-रिक्शा का कहीं नामोनिशान ही दिखाई नहीं देता है। वहीं उक्त मामले में जब अधिकारियों से बात की जाती है तो वह ई-रिक्शा को जल्द शुरू करेंगे यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।