कहते हैं नेम और फेम पाने में इंसान की जिंदगी घिस जाती है। कड़ी मेहनत के बाद जब इंसान बुलंदियों पर पहुंचता है तो दुनिया को सिर्फ उसकी कामयाबी दिखती है, लेकिन उसके पीछे का संघर्ष सिर्फ वही व्यक्ति महसूस कर सकता है। पर कहते हैं ना नजर लगते देर भी लगती। बस एक गलती या फिर जीवन का अभिशाप जो जीते जी इंसान को खोखला बना देता हैं।
ऐसे ही कुछ घटित हो रहा है छत्रसाल स्टेडियम के अखाड़े में अपने कुश्ती के दांव सीखने वाले सुशील के साथ। दरअसल, इसी स्टेडियम में ऐसा काम में शामिल होना सामने आया जिसने उनसे आकाश की बुलंदिया छीन लीं। एक झटके में मान-सम्मान और नौकरी चली गई। अब पद्म अवॉर्ड दांव पर लगा है।
सुशील जिनके नाम देशभर का नाम रोशन करते हुए ओलिंपिक के एक नहीं बल्कि दो पदक हासिल किए थे। इतना ही नहीं उन्हें वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप के मेडल से भी नवाजा गया था। मगर अब फिलहाल सुशील पहलवान अपने साथी की हत्या के आरोप में 18 दिन तक पुलिस से बचता रहा। साथ ही यह बात भी सामने आई कि वह काला जेठड़ी नाम के कुख्यात गैंगस्टर से भी खुद की जान को खतरा मान रहा है। फिलहाल वह 6 दिन की पुलिस रिमांड पर है।
जैसे ही सुशील का नाम जिस दिन से इस हत्याकांड में आया है तभी से उनके खिलाफ एक रोष का वातावरण है। जैसे ही सुशील को जब गिरफ्तार किया गया तभी यह सवाल उठने लगा कि क्या रेलवे उन्हें नौकरी पर रखेगा? मगर भारतीय रेलवे यातायात सेवा द्वारा एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए सुशील को नौकरी से मंगलवार को सस्पेंड भी दिया गया हैं।
नौकरी और उनकी प्रसिद्धि धूमिल होने के बाद अब खेल जगत में उनकी उपलब्धि और योगदान के बाद मिले पद्म अवार्ड भी दांव पर लग चुके हैं। इस बात से सभी परिचित होंगे कि 2011 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। अब चूंकि इस अवॉर्ड को कैंसिल करने का कोई स्पष्ट नियम नहीं है
चूंकि इससे पहले कोई भी पद्म अवॉर्ड धारक इतने भयानक अपराध में गिरफ्तार नहीं किया गया है। सरकार की ओर से भी इस मामले में थोड़ा संयम अपनाए जाने की बात लग रही है। ऐसा लगता नहीं कि हत्या के आरोप में गिरफ्तार पहलवान से पद्मश्री वापस लेने पर कोई फैसला जल्द ही हो सकता है।