शरीर ने छोड़ा साथ मगर दृढ़ विश्वास से दिव्यांग रामचंद्र अग्रवाल बने विशाल मेगा मार्ट के संस्थापक

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जिंदगी बहुत खूबसूरत है और इसे और भी ज्यादा खूबसूरत बनाती है। हमारे अंदर की काबिलियत, जो हमें दुनिया में एक अलग नाम और मुकाम बनाने में कामयाब बनाती है। वैसे तो दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो जिंदगी में हल्की से ठोकर लगने पर मायूस हो जाते हैं,

और जिंदगी को जीने की जगह उससे हार मान लेते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने शारीरिक अधूरे पन या मानसिक तनाव के चलते अपने अंदर की कमियों को ही टटोलकर अपना जीवन व्यर्थ कर देते हैं, और खुद को दूसरों से अलग अनुभव करने की आदत उन्हें निराश कर देती है।

शरीर ने छोड़ा साथ मगर दृढ़ विश्वास से दिव्यांग रामचंद्र अग्रवाल बने विशाल मेगा मार्ट के संस्थापक

पर अगर आपके अंदर वह काबिलियत है, जो दुनिया से आपको अलग बनाती है और आपने वह सोचने की क्षमता है कि आप दुनिया से अलग पहचान बनाना चाहते हैं तो आपको कोई भी नहीं रोक सकता है। ऐसे ही अटल विश्वास दृढ़ संकल्प से भरी कहानी है, विशाल मेगा मार्ट के फाउंडर रामचंद्र अग्रवाल की है.

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जो दिव्यांग होने के बावजूद अपने दृढ़ विश्वास से 1000 करोड़ से ज्यादा की कंपनी खड़ी करने में सफल हो पाए। राम चन्द्र अग्रवाल का जन्म एक आम परिवार में हुआ था। वो ऐसा वक्त था कि अभी राम चन्द्र अग्रवाल चलना भी नहीं सीख पाए थे कि उन्हें लकवा मार गया था। उसके उपरांत घरवालों की काफी कोशिश के बावजूद भी वो अपने पैरों पर चल नहीं पाए और जीवन भर के लिए बैसाखी का सहारा लेना पड़ा।

गरीब परिवार में जन्में राम चन्द्र अग्रवाल अपनी परिस्थिति से डरे नहीं और नौकरी की तलाश में निकल पड़ें थे। वो बताते है कि काफी हाथ-पैर मारने के बाद भी जब उन्हें नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने अपने कुछ दोस्तों से मदद ली और कुछ पैसे उधार लेकर 1986 में दुकान खोली।

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बताते चलेगी अग्रवाल द्वारा खोली गई है पहली दुकान जिंदगी में सफलता की पहली सीढ़ी साबित हुई थी।इसके बाद उन्होंने 1994 में पहली बार कपड़े के उद्योग में कदम रखा था। यह उद्योग उनके जीवन में मिल का पत्थर साबित हुई और 2001 में उन्होंने विशाल रिटेल की नींव रखी गई थी। देखते ही देखते विशाल रिटेल बड़ा होता गया और रामचंद्र बिजनेस जगत का एक बड़ा नाम बनते गए। इसके बाद उन्होंने विशाल मेगा मार्ट की स्थापना की।

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एक ऐसा भी वक़्त आया जब उनकी यह कंपनी दिवालिया हो गयी थी और रामचंद्र अग्रवाल को अपने शेयर तक बेचने पड़े जिसे श्री राम ग्रुप ने खरीदी थी, हालाँकि समय के साथ यह कंपनी फिर से खड़ी हो गयी और आज यह इंडिया की सबसे सफल कंपनी में शुमार है। यह तो कहानी नहीं बल्कि हकीकत या यूं कह लीजिए वास्तविकता है जिंदगी की। सरल शब्दों में अगर इस पूरी कहानी का निष्कर्ष निकाले तो यही होता है कि इंसान की कमजोरी उसे और मजबूत बना देती है और ना थकने कि वह आदत उसे कामयाब बना देती है।