काशी के विख्यात ज्‍योतिषाचार्य ने की महामारी की कुंडली तैयार, निदान के लिए कहीं यह बड़ी बात

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काशी के ख्‍यात ज्‍योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने महामारी की कुंडली तैयार कर इसके बारे में काफी कुछ ज्‍योतिषीय गणना की रूपरेखा पेश कर इसकी भयावहता को समझने के लिए एक लेख प्रस्‍तुत किया है।


काशी के ख्‍यात ज्‍योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार महामारी की जन्मराशि की कुंडली को देखा जाए तो मिथुन राशि के दुर्योग में जन्मा यह कोरोना , राशि लग्न में ही चन्द्रमा राहु का ग्रहण योग क्रियान्वित हो रहा है।

काशी के विख्यात ज्‍योतिषाचार्य ने की महामारी की कुंडली तैयार, निदान के लिए कहीं यह बड़ी बात

तो सप्तम भाव में बृहस्पति शनि केतु की युति तो इन तीनों ग्रहों की लग्न पर पूर्ण दृष्टि पड़ रही है। देखा जाए तो महामारी के लगन में राहु-चन्द्र की युति ज्योतिष में राहु को एक छाया ग्रह मानते है। वहीं महामारी भी अदृश्य है। ज्योतिष शास्त्र में राहु को पाप एवं क्रूर ग्रह जिसका स्वभाव रंग बदलने वाला एक्सीडेंट, कारक अचानक घटना-दुर्घटना को देना जिसका पता लगा पाना बड़ा ही कठिन होता है।



अर्थात महामारी राहु के प्रभाव के चलते ही तरह-तरह का रूप बदल रहा है। तो वहीं चन्द्रमा के साथ होने से ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को फेफड़े तथा सर्दी-जुकाम खांसी का कारक माना गया है। इसीलिए महामारी ने फेफड़ों गला, कान, आंख, पर ही अपना प्रभाव दिखा रहा है। चूंकि राहु छाया ग्रह है इसलिए महामारी भी अदृय है।

राहु ही संक्रमण का सबसे बड़ा कारक ग्रह होता है। संक्रमण की गति और तेज तब हो जाती है जब राहु पर शनि की दृष्टि हो हालांकि कोरोना की जन्मराशि पर राहु, चन्द्र, शनि, बृहस्पति, केतु इन पांचों ग्रह का प्रभाव है। अर्थात इन पांच ग्रह के दुर्योग से महामारी के तमाम रूप दिख रहे है। तो वहीं विश्वपटल पर फैलने का सबसे बड़ा वजह कोरोना की कुंडली में बुद्ध जो पंचम भाव में मंगल के साथ बैठा हुआ है।


जैसा की मंगल पृथ्वी पुत्र उसके साथ बुद्ध के बैठने से ही यह धरती पर तेजी से संक्रमित हो रहा है। देखा जाए तो ज्योतिष शास्त्र में कुंडली निर्माण के साथ ही निदान भी सुनिश्चित होजाता है।

देखा जाए तो महामारी का प्रभाव उन लोगों पर ज्यादा देखने को मिलेगा जिनकी कुंडली में राहु, शनि, केतु, बृहस्पति की अशुभ दशा अर्थात इन चारों ग्रह कुंडली की द्वितीय भाव षष्ठ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव को इनमें से कोई ग्रह वर्तमान में प्रभावित कर रहे हो या इनकी महादशा अन्तर दशा प्रत्यंतरदशा में चारों ग्रहों जैसे कोई भी ग्रह मारक हो। गोचर में भी जिन लोगों की कुंडली में चारों ग्रह अशुभ भाव में संचरण कर रहे हो उनको भी कोरोना होने की आशंका बनी रहेगी।


हालांकि निदान में शत-प्रतिशत गारंटी तो नहीं दी जा सकती लेकिन इस ज्योतिषिय निदान को नकारा भी नहीं जा सकता। हमारे यहां आयुर्वेद में वर्णित है की आयुर्वेद के निदान से पहले ग्रहों का ज्योतिष निदान करके करें।

काशी के विख्यात ज्‍योतिषाचार्य ने की महामारी की कुंडली तैयार, निदान के लिए कहीं यह बड़ी बात

जिसके लाभ शत-प्रतिशत होने की संभावना बढ़ जाती है। ज्योतिष निदान में महामारी की कुंडली के साथ कोरोना पीड़ित व्यक्ति कीकुंडली हो तो बहुत हद तक कोरोना को कम किया जा सकता है। फिर भी महामारी पीड़ित व्यक्ति के उपाय के तौर पर मोती व गोमेद एक साथ धारण करने से शरीर में संक्रमण की गति कमजोर होगी। तो शनि के लिए छायादान बृहस्पति के पीली वस्तु का दान करना चाहिए।

राहु मंत्र के साथ महामृत्युंजय मंत्र दुर्गा सप्तसी रोगनाशक मंत्र के साथ ही भगवान भास्कर को अघ्र्य देने से कोरोना पीड़ितों को लाभ मिलेगा। जिनको महामारी होने की आशंका हो वह भी करें तो निश्चित रूप से लाभ होता नजर आएगा।