रोजाना लगने है 5 इंजेक्शन, ब्लैक फंगस से नेत्र को खो चुकी पीड़ित महिला को 7 दिन में लगे 4 इंजेक्शन

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जहां एक और लोग महामारी से परेशान है। वहीं दूसरी और अब लोग ब्लैक फंगल बीमारी से भी परेशान है। क्योंकि ब्लैक फंगल के उपचार के लिए हर रोज करीब 5 इंजेक्शन लगाए जाने चाहिए। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास इंजेक्शन की कमी के चलते मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

ऐसा ही एक मामला फरीदाबाद में देखने को मिला है। फरीदाबाद के रहने वाले महेंद्र डागर ने बताया कि उनकी मां लीला देवी करीब 1 महीने पहले महामारी से ग्रस्त हुई थी। वह महामारी से ठीक हो गई। लेकिन 13 मई को उनको ब्लैक फंगल डायग्नोज हुआ।

रोजाना लगने है 5 इंजेक्शन, ब्लैक फंगस से नेत्र को खो चुकी पीड़ित महिला को 7 दिन में लगे 4 इंजेक्शन

जिसके बाद उन्होंने उनका उपचार के लिए उनको सेक्टर 16 स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया। ब्लैक फंगल के उपचार के लिए जो इंजेक्शन मरीज को चाहिए होता है। उसके लिए निजी अस्पताल को पहले सरकार को मेल के जरिए डिमांड भेजी पड़ती है और उसके बाद में इंजेक्शन उनको अस्पताल में मुहैया कराया जाता है।

लेकिन इस महिला को 7 दिनों में मात्र 4 इंजेक्शन लगाए गए हैं। वहीं अगर हम बात करें तो ब्लैक फंगल के मरीज को 1 दिन में 5 इंजेक्शन लगाना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं होता है तो उनके शरीर के अंग खराब होने लगते हैं।

रोजाना लगने है 5 इंजेक्शन, ब्लैक फंगस से नेत्र को खो चुकी पीड़ित महिला को 7 दिन में लगे 4 इंजेक्शन

इसी वजह से इस महिला की एक आंख ब्लैक फंगल के चलते खराब हो गई और उसको निकालना पड़ा। महेंद्र डागर ने बताया कि उनकी मां को अम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की आवश्यकता है। दरअसल, महिला के शरीर में ब्लैक फंगस आंखों में होने की वजह से ऑपरेशन करके डॉक्टरों को आंख बाहर निकालनी पड़ी।

अब समय यह है कि इंजेक्शन के अभाव में ब्लैक फंगस का खतरा महिला के दिमाग में असर कर सकता हैं। वही अब आलम यह है कि ब्लैक फंगस से पीड़ित महिला के बेटे महेंद्र डागर ने सोशल मीडिया के जरिए इंजेक्शन के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से लेकर फरीदाबाद के जिला उपायुक्त यशपाल यादव को ट्वीट करके अपनी परेशानी से अवगत कराया है।

रोजाना लगने है 5 इंजेक्शन, ब्लैक फंगस से नेत्र को खो चुकी पीड़ित महिला को 7 दिन में लगे 4 इंजेक्शन

उन्होंने बताया कि निजी अस्पताल के द्वारा भी लिखित में इंजेक्शन की मांग की गई है। लेकिन उसके बावजूद भी अभी तक उनकी मां को इंजेक्शन नहीं मिले हैं। जिसकी वजह से उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि ट्वीट करने के बाद उनके पास बी के अस्पताल से फोन आया।

जहां पर डॉक्टर विशाल सक्सेना ने कहा कि आप उनसे बीके अस्पताल में आकर मिले। जब वह बी के अस्पताल में गए तो उनको काफी समय का इंतजार करना पड़ा। लेकिन उनके पास समय की कमी होने की वजह से वह ज्यादा देर नहीं रुके और अपनी मां जो कि अस्पताल में भर्ती थी वह वहां चले गए।

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उन्होंने बताया कि उनके पास अस्पताल द्वारा भेजी गई डिमांड की कॉपी मौजूद है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग व सरकार के द्वारा अभी तक कोई भी रिप्लाई नहीं आया है। अगर समय रहते इंजेक्शन नहीं मिला तो उनकी मां का जो दिमाग है उस पर भी ब्लैक फंगल असर कर देगा। जिससे उनको आने वाले समय में काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।