दिल्ली- वडोदरा एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्यों के लिए पेड़ों की कटाई एक बार फिर से शुरू हो गई है। इससे पहले भी एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए पेड़ों को काटा गया था जिसका पुरजोर विरोध भी हुआ जिसके बाद पेड़ काटने की बजाय ट्रांसप्लांट करने की बात कही थी परंतु समय के साथ यह ट्रांसप्लांट की योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई।
दरअसल, दिल्ली वडोदरा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य अपने शुरुआती दिनों से ही चर्चा में बना हुआ है। महामारी संक्रमण से पहले एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य काफी जोरों शोरों हो रहा था परंतु महामारी के बढ़ते प्रकोप के चलते निर्माण कार्य को स्थगित कर दिया गया वहीं अब महामारी संक्रमण कमजोर हुआ है तो कार्य एक बार फिर से शुरू कर दिया गया है।
एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य को लेकर पुराने पेड़ों को काट दिया गया। इस बार पर्यावरण प्रेमियों ने एतराज जताया है। इस विषय में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सौरभ राज्यपाल ने एचएसवीपी और एनएचएआई के अधिकारियों को नोटिस भी भेजा है। दिल्ली वडोदरा एक्सप्रेस वे को लेकर करीब 2500 पेड़ काटे जाने है वही हजार के करीब पेड़ों को काटा भी जा चुका है। यदि अवैध निर्माणों को तोड़ दिया जाता है इतने पेड़ों की बलि नहीं देनी पड़ती।
गौरतलब है कि एक्सप्रेस-वे के निर्माण को लेकर अभी तक फरीदाबाद बायपास से करीब हजार पेड़ों को काट दिया गया है जिसका फरीदाबाद के समाजसेवियों के द्वारा पुरजोर विरोध किया गया। शहर की कुछ समाजसेवी संस्थाओं के द्वारा इस विषय में शिकायत भी की गई है ।
वही हाल ही में सेव फरीदाबाद ट्रस्ट के संस्थापक पारस भारद्वाज के द्वारा इस विषय में गृह मंत्री अनिल विज को ज्ञापन भी सौंपा गया है। एनआईटी के विधायक नीरज शर्मा तथा कनफेडरेशन ऑफ आरडब्लूए के द्वारा भी इस विषय में असहमति जाहिर की गई है वहीं अब एक बार फिर से पेड़ों की कटाई को शुरू कर दिया गया है जिसका विरोध एक बार फिर से शुरू हो गया है।