खुद की बीमारी से मिली प्रेरणा, अब ये युवा भूखे लोगों का पेट भरने के साथ-साथ उनके इलाज में भी मदद कर रहा है मदद

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    इंसानियत अभी इस दूषित दुनिया में कहीं न कहीं ज़िंदा है। गरीबों का पेट भरना एक पुण्य का कार्य है। खाना इंसान की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है। इसकी सहजीय कल्पना की जा सकती है कि जिन लोगों को 2 जून की रोटी नसीब नहीं होती उनकी जिंदगी कितनी कष्टप्रद और बदत्तर होती है। कहा भी जाता है कि भूखे को रोटी देने और जरूरतमंदों की मदद से करने से बड़ा धर्म कोई और नहीं।

    लॉकडाउन के कारण राह में बैठे भिखारियों, गरीबों और मलिन बस्ती लोगों को दो वक्त की रोटी जुटा पाना मुश्किल हो गया है। लेकिन इंसानी फरिश्ता रवि शेखर और उनके साथी यह अपनी जिंदगी गरीबों को पेट भरने और जरूरतमंदों की सेवा में समर्पित कर रहे हैं।

    खुद की बीमारी से मिली प्रेरणा, अब ये युवा भूखे लोगों का पेट भरने के साथ-साथ उनके इलाज में भी मदद कर रहा है मदद

    किसी की मदद करना सबसे बड़ा धर्म है। किसी को रोटी देना सबसे बड़ा सुकून। यह सुकून अंतरात्मा को मिलता है। रवि शेखर मूल रूप से झारखंड के धनबाद शहर स्थित भूली के रहने वाले हैं। वैसे तो वे पेशे से एक बिजनेसमैन हैं लेकिन उनका समर्पण समाज सेवा के प्रति कहीं ज्यादा है। जरूरतमंदों की सेवा सरीखा कार्य उन्हें एक बेहतरीन व्यक्तित्व वाला इंसान बनाता है।

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    उनके कार्यों के कारण आज कई लोगों को खाना मिल रहा है। रवि बताते हैं कि वह 2015 का वर्ष था जब रवि एमबीए करने के बाद दिल्ली में एक बैंक में कार्यरत थे। उसी वर्ष उनके साथ एक घटना घटी और उन्हें अपना किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ा। इलाज के दौरान उन्होंने अस्पताल में गरीबों के सामने आने वाली भीषण समस्याओं को करीब से देखा।

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    किसी की भलाई करना आत्मा को बहुत सुकून पहुंचाता है। रवि ने अपनी बीमारी से प्रेरणा लेकर यह कार्य किये हैं। कई लोगों को लबों पर उन्होंने मुस्कान दी है।