सिर्फ इस कारण इन्होनें शुरू किया पारंपरिक बर्तनों का बिज़नेस, जानिये कैसे आज तीन गुना हो रहा है मुनाफा

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    आपका एक आईडिया किसी भी समय आपकी ज़िंदगी को पलट सकता है। आपके हौसलों में दम होना चाहिए। “मैं चाहे किसी भी बर्तन में रसम बना लूँ, लेकिन मेरी दादी के ईय चोम्बू में बने रसम का स्वाद, हमेशा सबसे अच्छा और अलग होता है। मेरी दादी अपने परंपरागत बर्तनों में, दुनिया का सबसे अच्छा कटहल का हलवा बनाती हैं।” यह कहना है, अपनी दादी की कुकिंग से प्रभावित होकर, ऐक्चुरियल साइंस प्रोफेशनल से फ़ूड ऑन्ट्रप्रन्यर बनी, काविया चेरियन का।

    इन्होनें अपने एक आईडिया से कमाल कर दिखाया है। इस बात को भी चरितार्थ किया है कि आपका हौसला बुलंद होना चाहिए मुकाम तो मिल ही जाता है। इंसान को कभी हार नहीं माननी चाहिए। वह कहती हैं, “मैं डेढ़ साल से मुंबई में ऐक्चुरियल ऐनलिस्ट के तौर पर काम कर रही थी। लेकिन, मुझे वह संतुष्टि नहीं मिली, जिसकी मुझे तलाश थी।

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    कोई भी इंसान आपसे अच्छा नहीं है। जो आप कर सकते हैं वो कोई नहीं कर सकता। इन्हें इस बात पर यकीन था। इसलिए 2019 में अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, वह केरल के कोचीन में अपने माता-पिता के पास रहने लगीं। इसके बाद, वह कुछ दिनों के लिए अपने दादा-दादी के पास तिरुवल्ला चली गईं। उन्होंने बताया, “मेरी दादी की मोतियाबिंद की सर्जरी हुई थी, इसलिए मैं वहां घर में, उनकी मदद करने के लिए गई।

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    आपकी सोच आपकी ज़िंदगी कभी भी बदल सकती है। आप जो भी हैं सिर्फ अपनी सोच के दम पर हैं। वह बताती हैं कि मुझे पारंपरिक बर्तनों में, खाना पकाना बहुत अच्छा लगता था। ये बर्तन पीढ़ी दर पीढ़ी से इस्तेमाल में लिए जा रहे थे। आज भी कई घरों में परंपरागत बर्तनों का इस्तेमाल होता है। लेकिन, जब काविया ने कई दुकानों में ऐसे बर्तन ढूंढ़ने की कोशिश की, तो उन्हें ये वहां नहीं मिले।

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    इंसान को सफलता के लिए कड़ी मेहनत के साथ सबकुछ हासिल करने की राह पर निकलना पड़ता है। इन्होनें भी ऐसे ही किया। वह बताती हैं कि “अगर मैं किसी बड़े सुपरमार्केट में ये बर्तन लेने जाती, तो मुझे नॉन-स्टिक बर्तनों का बड़ा सा कलेक्शन तो दिख जाता, लेकिन वहां पारंपरिक बर्तन मिलने मुश्किल होते। इसी कमी को पूरा करने के लिए, काविया ने अगस्त 2020 में ‘Green Heirloom’ नाम से पारंपरिक बर्तनों का एक बिजनेस शुरू किया।