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बदन को परफ्यूम की खुशबू से ज्यादा सब्जियों में सरसों के तेल की खुशबू महकाना हुआ महंगा

फरीदाबाद : गर्मियों में पसीने की दुर्गंध को महकाने का काम करने वाला परफ्यूम इन दिनों सरसों के तेल के दाम से कहीं पीछे रह गया है। दरअसल, जिस तरह शरीर को खुशबू देने का काम परफ्यूम करता है। उसी तरह सब्जियों को स्वादिष्ट और लजीज बनाने का काम सरसों का तेल करता है। मगर इन दिनों दोनों के दामों में आंकलन किया जाए तो उसमे सरसों के तेल की कीमतों ने छलांग लगाकर बाजी मार ली हैं।

दरअसल, सरसों का तेल 224 रूपए प्रति लीटर मिल रहा है। ऐसे में आमजन की जेब ढीली करनी पड़ सकती है। असल में हमारे यहां आज भी सबसे ज्यादा लोग सरसों के तेल में खाना पकाते हैं. यह तेल खाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. अब सबके घर में रोज ऑलिव ऑयल में खाना तो नहीं बन सकता है,

बदन को परफ्यूम की खुशबू से ज्यादा सब्जियों में सरसों के तेल की खुशबू महकाना हुआ महंगा

वो भी ज्वाइंट फैमिली में भी। वैसे बाकी तेल के दाम भी बढ़ गए हैं. रिफाइंड भी महंगा हो गया है. सरसों का तेल करीब डेढ़ साल पहले तक 80 रुपए प्रति लीटर मिलता था अब वहीं इसकी कीमत 224 रुपए प्रति लीटर पहुंच गई है। सरसों तेल का हम भारत के लोग तो खूब इस्तेमाल करते हैं।

लड़कियां सरसों का तेल स्किन और हेयर केयर में इस्तेमाल करती हैं. लोग रात में नाभि में सरसों का तेल डालते हैं ताकि होठ ना फटे. सिर्फ इतना ही नहीं मंदिर में दिया जलाना हो या शनि महाराज को तेल चढ़ाना हो, लोग सरसों तेल का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में कहां-कहां कटौती करेंगे. हां एक उपाय कर सकते हैं कि आई ड्रॉप की तरह दो बूंद डालें और काम चलाएं, क्योंकि महिलाओं को अगर तेल के नाम पर ताना दिया तो फिर एक निवाला भी नसीब नहीं होगा।

अक्सर रिक्शा वाले और मजदूर दिन भर काम करने के बाद 100-200 कमाते हैं. उसमें से वे कुछ बचाते हैं और शाम को 50 रुपए में 10 का आटा और 10 रुपए का तेल और नमक मिर्च से खरीद कर कहीं भी रोटी बनाकर खा लेते हैं. सोचिए अब जब वे 10 रूपए का तेल मांगेंगे तो उन्हें क्या आई ड्रॉप जैसे नहीं मिलेगा.

वो भी दुकान वाले दयावान निकला तो वरना भगा भी सकता है। वहीं जो लोग नॉनवेज खाने के शौकीन है, उनकी अलग मुसीबत है। बिना टमाटर के काम तो चल जाएगा लेकिन बिना तेल क्या होगा. सिर्फ सरसों के तेल में चिकन, मछली फ्राई करके खाने वाले लोग शायद कम तेल में कुकर में सीटी लगाने लगे या फिर खाना ही कम कर दें।

स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो आमजन को अपने स्वाद का जायका बदलना पड़ेगा या फिर अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। हर सामग्री पर बढ़ने वाली कीमत आमजन के माथे पर चिंता की लकीरें खींच देती है और सोचने पर मजूबर कर देती है कि आखिर अचानक इस प्रोडक्ट का इतना रेट कैसे बढ़ गया, लेकिन कहीं ना कहीं तो कंप्रोमाइज हो एक हद तक मुमकिन है। जीने के लिए तो खाना खाना जरूरी है, सरसों के तेल के बिना पानी में तो खाना बनने से रहा। इसलिए सरसों के तेल में हुई वृद्धि सच में एक मुसीबत का कारण बनने वाली है।

Avinash Kumar Singh

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