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कभी पढ़ाई के लिए घर रखना पड़ा था गिरवी, आज कड़ी मेहनत से बना IAS, मां से कहा मैं कलेक्टर बन गया

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इंसान को कभी हार नहीं माननी चाहिए। आपका हौसला बुलंद होना चाहिए मुकाम तो मिल ही जाता है। एक बच्चे को अच्छी परवरिश के साथ-साथ उच्च शिक्षा देने के लिए मां-बाप क्या कुछ नहीं करते हैं। खुद की परवाह न करते हुए भी बच्चों के जरूरत के साथ-साथ हर ख्वाहिश भी पूरी करते है। वही बच्चे अगर माता पिता के त्याग को सफलता में बदल देते हैं तो उस मां-बाप के लिए इससे सुखद अनुभूति कुछ हो ही नहीं सकती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है राजेश ने।

आपको एकाग्रता के साथ लक्ष्य तक पहुंचना होता है। यह मायने नहीं रखता कि आप कहां से आते हैं। ओड़िशा के जलगांव जिले से ताल्लुक रखने वाले राजेश पाटील के माता-पिता ने उनकी पढ़ाई के लिए अपने घर तक गिरवी रख दिए। लेकिन राजेश भी पूरी मेहनत और लगन से कठिन परिश्रम कर आईएएस अधिकारी बनकर माता-पिता के त्याग को व्यर्थ नहीं जाने दिया।

कभी पढ़ाई के लिए घर रखना पड़ा था गिरवी, आज कड़ी मेहनत से बना IAS, मां से कहा मैं कलेक्टर बन गया

किसी भी इंसान को सफलता के लिए कड़ी मेहनत के साथ सबकुछ हासिल करने की राह पर निकलना पड़ता है। राजेश भी इसे हासिल करने के लिए निकले। राजेश पाटील साल 2005 में ओड़िशा कैडर से आईएएस अधिकारी बने। वे वर्तमान में महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ में नगर निगम में कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं। राजेश पाटिल की एक किताब भी प्रकाशित हुई है, जिसका नाम है मां मैं कलेक्टर बन गया।

कभी पढ़ाई के लिए घर रखना पड़ा था गिरवी, आज कड़ी मेहनत से बना IAS, मां से कहा मैं कलेक्टर बन गया

यूपीएससी परीक्षा पास करने वाले कई कैंडिडेट्स की कहानियां संघर्ष भरी होती हैं। एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजेश के परिवार की स्थिति कुछ अच्छी नहीं रही, अक्सर उनका परिवार कर्ज में डूबा रहता था। राजेश की तीन बहनें हैं। खेती में घर वालों की मदद करने के लिए के कारण राजेश को पढ़ाई के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता था, लेकिन वे पढ़ने में अच्छे थे।

कभी पढ़ाई के लिए घर रखना पड़ा था गिरवी, आज कड़ी मेहनत से बना IAS, मां से कहा मैं कलेक्टर बन गया

यदि आप सफलता चाहते हैं तो इसे अपना लक्ष्य ना बनाइये, सिर्फ वो करिए जो करना आपको अच्छा लगता है जब हम ऐसा करते हैं तो सबकुछ हासिल हो जाता है। राजेश इसी को चरितार्थ करते हैं।

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