इंसान को ज़िंदगी में कष्ट बहुत मिलते हैं। इन कष्टों पर विजय पाने वालों की ही जय – जयकार होती है। हरमन ट्रैफिक वायलेशन के खिलाफ लड़ रहे हरमन सिद्धू लड़ाई सिद्धू एक ऐसा नाम है जिन्होंने अधरंग को अपने जुनून के आड़े नहीं आने दिया। सिद्धू के दोनों हाथों की दो दो उंगलियां चलती हैं और वे लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
हमारे देश में रोज़ाना ट्रैफिक के नियमों का पालन नहीं करने से हज़ारों मौतों होती हैं। सिद्धू ने ही चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस की साल 2006 में वेबसाइट बनाई थी और इसी वेबसाइट के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिल चुका है। इस वेबसाइट को लाखों लोग विजिट करते हैं। अब करीब तीन लाख लोग हर माह इस साइट को खोलते हैं।
इन्होनें दूसरों को जागरूक किया है। अब इसे देखते हुए पंजाब व हरियाणा के कई जिलों ने अपनी वेबसाइट को अपडेट किया है। इस वेबसाइट को दूसरे राज्य के चालक जब सिटी में आते हैं तो भी शहर के नियम देखने के लिए इस साइट को देखते हैं। सिद्धू ने अराइव संस्था का भी गठन किया है, जिसके तहत तीन दर्जन युवा सक्रिय तौर पर इनके साथ जुड़े हैं। सिद्धू की संस्था ट्रैफिक नियमों को जागरूक करने के लिए वीडियो तैयार करके पुलिस को देती है।
सभी यातायात नियमों का पालन करें किसी की जान इसके कारण न जाये यह सभी प्रयास सिद्धू कर रहे हैं। इसके साथ ही इनकी संस्था समय-समय पर बनने वाले पोस्टर का काम भी करती है। अभी तक सिद्धू के प्रयास से 100 से ज्यादा शिविर लग चुके हैं। 26 साल की उम्र में सिद्धू 1996 के अक्तूबर माह में हिमाचल में हादसे के शिकार हुए थे। नाहना में रेणूका की एक पहाड़ी की खाई में उनकी कार गिर गई थी।
जो हादसों का शिकार होता है वही दूसरों को समझता है। उस समय वह पिछली सीट पर बैठे हुए थे। जब गाड़ी गिरी तो उनकी गर्दन पर कार का वजन काफी देर तक पड़ा रहा, जिससे उनके हाथ और पैर चलने बंद हो गए।