इंसान को कभी हार नहीं माननी चाहिए। आपका हौसला बुलंद होना चाहिए मुकाम तो मिल ही जाता है। पढ़ने की लगन और ज़िन्दगी में कुछ कर दिखाने की चाह ने वरुण को उस कामयाबी तक पहुंचाया जिसकी कामना भारत के अनेक युवा करते हैं। गरीबी के जीवन को एक सीख की तरह देखने वाले वरुण बरनवाल ने यूपीएससी IAS 2016 की परीक्षा में 32वी रैंक हासिल की और बने IAS अफसर। परन्तु उनका यह सफर बेहद ही कठिन और संघर्षपूर्ण रहा।
समय बदलते ज़रा भी वक्त नहीं लगता है। आपको बुरे वक्त में बस कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। वरुण बरनवाल महाराष्ट्र के पालघर जिले में छोटे से शहर बोइसर के रहने वाले हैं। उनके पिता साइकिल पंक्चर की दुकान चलाते थे और माँ एक गृहणी है। वरुण के घर की आर्थिक हालत बचपन से ही खस्ता थी। पर उनके परिवार ने उन्हें कभी पढ़ने से नहीं रोका।
IAS वरुण बरनवाल ने अपने लक्ष्य के रास्तें में आनेवाली सभी बाधाओं का डटकर सामना किया और अंततः अपनी मंजिल तक पहुंच ही गए। वह बताते हैं की उनकी माँ उन्हें हमेशा ही पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती थीं। वह बचपन से ही हर कक्षा में अव्वल आते थे। 10वी की बोर्ड परीक्षा खत्म होने के चौथे दिन ही वरुण के पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद उनके परिवार की ज़िम्मेदारी वरुण के कंधों पर आ गई।
किसी भी इंसान को सफलता के लिए कड़ी मेहनत के साथ सबकुछ हासिल करने की राह पर निकलना पड़ता है। वरुण भी सफलता के लिए निकले और सफल हुए। पिता की मौत के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई छोड़ कर पिता की पंक्चर की दुकान चलाने का निर्णय लिया। 10वी का रिजल्ट आने पर उन्हें पता लगा की उन्होंने अपने पूरे शहर में दूसरा स्थान हासिल किया है। परन्तु घर के हालात ने उन्हें पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाले तमाम कैंडिडेट्स की कहानी काफी प्रेरणादायक होती है। कड़ी मेहनत और लगन से UPSC सिविल सेवा परीक्षा में 32वा स्थान हासिल कर वरुण IAS बन गए। विषम परिस्थितियों में भी आगे बढ़ते रहना और अपने लक्ष्य के प्रति निष्ठां रख कर ही व्यक्ति जीवन में सफलता हासिल कर सकता है।