दो हजार रुपए से शुरू हुआ किया था अपना बिजनेस आज 16 देशों में चला रही हैं सेंटर, काफी प्रेरणा देती है इनकी कहानी

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    आप सबकुछ हासिल कर सकते हैं। आपको कड़ी मेहनत की ज़रूरत होती है। सही दिशा, लगन और चाह से व्यक्ति कहां नहीं पहुंच सकता, वंदना लूथरा इसको प्रमाणित करती हैं। वह महिलाओं में छुपी असीम क्षमताओं का उदाहरण हैं और रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। उन्हें औद्योगिक क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए ‘पद्मश्री’ से भी नवाजा गया है।

    कड़ी मेहनत और एकाग्रता के दम पर वंदना ने यह सब हासिल किया है। वंदना किसी व्यवसायिक घराने से नहीं आती। छोटी-सी उम्र में ही उन्हें सभी के बाल काटने का और अपने घर के सदस्यों पर फेसियल करने का शौक था। आज वंदना सबसे बड़े और प्रतिष्ठित भारतीय उद्यमियों में से एक हैं। वह वीएलसीसी हेल्थ केयर लिमिटेड की संस्थापक और ब्यूटी एंड वेलनेस सेक्टर स्किल एंड काउंसिल की चेयरपर्सन भी हैं।

    दो हजार रुपए से शुरू हुआ किया था अपना बिजनेस आज 16 देशों में चला रही हैं सेंटर, काफी प्रेरणा देती है इनकी कहानी

    उन्हें खुद पर यकीन था। आज उनकी कंपनी देश ही नहीं विदेश में भी धूम मचा रही है। 25 साल के काम-काज में वीएलसीसी लगातार तरक्की करते हुए न केवल एशिया की सबसे बड़ी वेलनेस कम्पनियों में शुमार हो गई है बल्कि इसने भारत में वेलनेस सेक्टर के विस्तार में भी सराहनीय योगदान दिया है। वंदना लूथरा के निरंतर प्रयासों से कंपनी के सेंटर 16 देशों के 121 शहरों में 300 से अधिक स्थानों पर मौजूद है।

    दो हजार रुपए से शुरू हुआ किया था अपना बिजनेस आज 16 देशों में चला रही हैं सेंटर, काफी प्रेरणा देती है इनकी कहानी

    महिलाओं के वंदना किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं। उनकी सफलता की कहानी हर किसी की ज़ुबान पर है। 50 पावर बिजनेसवुमेन के फोर्ब्स एशिया की सूची 2016 में लूथरा को 26 वां स्थान दिया गया था। वीएलसीसी देश के सर्वश्रेष्ठ सौंदर्य और कल्याण सेवा उद्योगों में से एक है। दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, जीसीसी क्षेत्र और पूर्वी अफ्रीका में भी इसका संचालन हो रहा है।

    दो हजार रुपए से शुरू हुआ किया था अपना बिजनेस आज 16 देशों में चला रही हैं सेंटर, काफी प्रेरणा देती है इनकी कहानी

    हासिल सबकुछ हो सकता है। बस एकाग्रता आपको चाहिए होती है। इंसान को कभी हार नहीं माननी चाहिए। आपका हौसला बुलंद होना चाहिए मुकाम तो मिल ही जाता है।