आपकी गरीबी का जो मज़ाक उड़ाता है उसे उड़ाने दीजिये। आप कड़ी मेहनत करो और गरीबी को हमेशा के लिए दूर करो। यह कहानी एक ऐसी महिला की है जिन्होंने मुसीबतों से लड़कर इतिहास बना दिया है। इनफैक्ट हम यह भी कह सकते है कि अपनी मेहनत और लगन से अपनी जिन्दगी को पतझड़ से खूबसूरत फूलों में बदल दिया।
हमें यह पता है कि कभी भी किसी की गरीबी और मजबूरी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। एक गरीब भी अपनी मेहनत और लगन से अपनी गरीबी को अमीरी में बदलने की ताकत रखता है। चिंता देवी एक ग्रामीण महिला थी अब एक उद्यमी है। खूब का बिजनेस चलाती है, अपनी जैसी कई महिलाओं को रोजाना रोजगार देती है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि चिंता देवी आज से चार साल पहले अपने परिवार का पेट पालने के लिए भी परेशान होती थी।
मेहनत मजदूरी करके भी दो वक्त की रोटी की मोहताज ही रहती थी। हमने अपने योग्यता के बल पर ‘शुन्य से शिखर’ तक पहुंचने वाले लोगों की ढ़ेर सारी कहानियां सुनी हैं। यह कहानी भी ऐसी है। चिंता देवी की चार साल पहले पहचान एक मजदूर महिला की हुआ करती थी। लेकिन आज वह एक उद्यमी हैं। एक कंपनी की मालकिन हैं। चिंता देवी ने डिस्टिल्ड वाटर के कारोबार से अपना बिजनेस आज से चार साल पहले शुरु किया था।
किसी भी इंसान को सफलता के लिए कड़ी मेहनत के साथ सबकुछ हासिल करने की राह पर निकलना पड़ता है। चिंता देवी भी सफलता के लिए निकलीं और सफल हुईं। वर्तमान में उनका कारोबार कपड़े धुलने के पाउडर बनाने की फैक्ट्री तक पहुंच गया है। चिंता देवी की उम्र 42 साल के करीब है और अपने परिवार के भरण- पोषण की जिम्मेदारी खुद उनके कंधों पर है।
जो उनका मज़ाक उड़ाते थे आज वो इनसे मिलने के लिए लाइन में लगते हैं। चिंता देवी अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताती है कि पिता जी राज मिस्त्री है, माताजी का कब देहांत हो गया ठीक से याद भी नहीं है। गरीबी की वजह से सिर्फ 15 साल की उम्र में ही शादी हो गई। ससुराल की भी आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी। अब सब बदल गया है।