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मिल्खा सिंह ने आजाद भारत के लिए पहला गोल्ड जीतने से फ्लाइंग सिख बनने तक का सफर, ऐसे किया था तय

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मिल्खा सिंह का नाम आज विश्व में कौन नहीं जानता। इतने उम्रदराज होने के बावजूद उनके फैंस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। उड़न सिख के नाम से मशहूर पद्मश्री पूर्व एथलीट मिल्खा सिंह महामारी से संक्रमित हैं। उन्हें आक्सीजन लेवल काफी नीचे गिरने के स्पताल में भर्ती कराया गया। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। फिलहाल उनकी हालत में सुधार है। बीते 17 मई को मिल्खा सिंह कोरोना पाजिटिव पाए गए थे।

कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने 91 साल के दिग्गज से बात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। इस महान धावक वे भारत को कई पदक दिलाए, लेकिन 1960 रोम ओलंपिक में पदक से चूकने की कहानी आज भी लोगों के जेहन में ताजा है।

मिल्खा सिंह ने आजाद भारत के लिए पहला गोल्ड जीतने से फ्लाइंग सिख बनने तक का सफर, ऐसे किया था तय

मिल्खा सिंह बस एक नाम नहीं हैं यह करोड़ों देशवासियों की शान भी हैं। मिल्खा सिंह का जन्म साल 1929 में पाकिस्तान के मुजफरगढ़ के गोविंदपुरा में हुआ था। उनका जीवन काफी संघर्ष भरा रहा। बंटवारे के दौरान हिंसा में उन्होंने 14 में से आठ भाई बहनों और माता-पिता को खो दिया। इसके बाद वे भारत आ गए और सेना में शामिल हुए और उनकी जिंदगी बदल गई।

मिल्खा सिंह ने आजाद भारत के लिए पहला गोल्ड जीतने से फ्लाइंग सिख बनने तक का सफर, ऐसे किया था तय

हर किसी की ज़िंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है जहां सबकुछ बदल जाता है। एक क्रॉस-कंट्री रेस ने उनके प्रभावशाली करियर की नींव रखी। इस दौड़ में 400 से अधिक सैनिक शामिल थे और इसमें उन्हें छठा स्थान हासिल हुआ। इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग के लिए चुना गया। उन्होंने तीन ओलंपिक 1956 मेलबर्न, 1960 रोम और 1964 टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने हिस्सा लिया।

मिल्खा सिंह ने आजाद भारत के लिए पहला गोल्ड जीतने से फ्लाइंग सिख बनने तक का सफर, ऐसे किया था तय

समय बदलते ज़रा भी वक्त नहीं लगता है। आपको बुरे वक्त में बस कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। किसी भी इंसान को सफलता के लिए कड़ी मेहनत के साथ सबकुछ हासिल करने की राह पर निकलना पड़ता है।

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