खेती करने के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, अब जैविक खेती के जरिए कमा रहे है लाखों रुपए

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    जब मन कुछ और करना चाहता है तो उसी की तरफ आपका दिमाग भी दौड़ता है। लोग क्लास वन नौकरी हासिल करने के लिए तरह तरह तिकड़म लगाते है। मेहनत करते है। जुगाड़ लगाते है। ताकि सरकारी नौकरी हासिल कर सके। लेकिन कुछ लोग पास आई नौकरी को भी ठोकर मार देते है। यूपी के बुंदेलखंड के बांदा में रहने वाले प्रेम सिंह पेश से किसान है। इस किसान ने खेती के लिए अपनी क्लास वन नौकरी को भी ठोकर मार दी।

    मेहनत का फल मिलता ज़रूर है। आप तत्परता से अगर काम करते हैं तो कोई भी आपकी मेहनत का फल आपसे नहीं ले सकता है। किसानी करने से पहले वह पीसीएस क्वालीफाई कर चुके थे। उन्होंने नौकरी में जाने से बेहतर खेती करना समझा। अब उन्होंने खेती को क्यो अपनाया तो इसके पीछे राज है कि उनका कहना था कि खेती करके वह लाखों लोगों की सेवा कर सकते है। जबकि अपनी नौकरी में वह ऐसा नहीं कर सकते।

    खेती करने के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, अब जैविक खेती के जरिए कमा रहे है लाखों रुपए

    हमारे देश में अब यह सोच समाप्त होने लगी है कि खेती – बाड़ी बस नुकसान का सौदा है। यह एक पॉजिटिव बात है। पे्रम सिंह के अनुसार उनकी खेती से 20 लाख रुपए साल की कमाई है। किसानी से पहले वह पीसीएस क्वालीफाई कर चुके थे। लेकिन उन्होंने नौकरी में जाने से बेहतर खेती करना ही समझा। पिछले 30 साल से खेती कर रहे है।

    खेती करने के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, अब जैविक खेती के जरिए कमा रहे है लाखों रुपए

    आपका हौसला सबसे बड़ी तलवार है आपकी। आप अगर कुछ ठान लें तो सबकुछ हासिल कर सकते हैं। खेती के जरिए वह तरह तरह की फसल उगाते है। जिनमें कई फलों की खेती भी शािमल है। बड़ाखेर गांव के रहने वाले प्रेमसिंह ने जब पीसीएस पास किया था तो उनकी सलाना कमाई 2 से ढाई लाख रुपए थी। शुरु में कुछ वर्षों में उन्होंने अपनी सलाना कमाई ट्रैक्टर ट्यूबवेल और खाद में खर्च कर दी। इसके बाद उन्होंने इंटीग्रेटेड खेती पर जोर दिया।

    खेती करने के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, अब जैविक खेती के जरिए कमा रहे है लाखों रुपए

    खेती में मोटा मुनाफा किसान कमाने लगे हैं। अब देश का युवा भी खेती – किसानी की तरफ बढ़ने लगा है। प्रेम सिंह बताते है कि उनके पास तीन हजार से अधिक लोग खेती किसानी के गुण सिखने के लिए आते है। यहां तक की उनके पास आस्ट्रेलिया, लंदन सहित 18 देशों के लोग खेती के गुर सीखने के लिए आते है।